डगमगाती शिक्षा का युवाओं का सहरा
रिपोर्ट शैलेन्द्र पंड्या
एक तरफ सरकार शिक्षा को बेहतर बनाने का प्रयास कर रही है तो दूसरी तरफ युवाओं द्वारा शिक्षा के मंदिर मे बेहतर सुविधा देकर सरकार की मदद के साथ स्टूडेंट को अच्छी सुविधाएं मिले इसका प्रयास युवाओं द्वारा लगातार किया जा रहा है
*इन्दौर से खरीदी गई ड्रेस पहनेगें अब सरकारी स्कूल के बच्चे*
खुजनेर से लगे हुए गांव फून्दियां मे गांव के युवा विकास संघठन के द्वारा स्वंय के व्यय से स्कूल में अध्यनरत सभी बच्चो के लिये इन्दौर से उच्च गुणवत्ता की ड्रेस खरीद कर लाई गई जिसमे युवा संघठन ने उक्त ड्रेस वितरण के लिये विकाश खंड शिक्षा अधिकारी राजगढ को बतौर मुख्य अतिथि के रुप मे आमन्त्रित किया गया । आज दिनांक को विकास खंड शिक्षा अधिकारी राजगढ श्री सोनी जी एंव विकास खण्ड समन्वयक अधिकारी मेडम के द्वारा शासकीय मा.विधालय के कक्षा 1 से 08 वी तक के बच्चो को ड्रेस वितरण किया गया ।
विगत वर्ष में भी युवा संघठन के द्वारा एक ही दिन में सवा लाख रुपये इकट्ठा कर बच्चो को डिजिटिल स्टेल प्रदान ,कक्षा 8 वी स्मार्ट क्लास के रुप में विकसित करना जिसमें 55 इंच स्मार्ट एल.ई.डी.टीवी ,क्लास में विभिन्न प्रकार के फ्लेक्स लगवाये गये , स्कूल व ग्राऊन्ड में सीसीटीवी केमरे लगवाये ,सभी कक्षाओ में मेट (कारपेट) बिछवाई गई , ग्राऊन्ड में लोहे के पोल लगा कर जालीदार बाऊन्ड्री की गई , तथा उसमें कई प्रकार के मंहगे- मंहगे व आकर्षक पेड पोधे लगवाये गये तथा पास के कुँए में पानी की मोटर डालकर उनमें रोजाना पानी डालने की व्यवस्था की गई है , जिनको रोजाना गाँव के युवा पानी देकर उनका आज तक भी सरंक्षण कर रहे है ।
युवा संघठन के द्वारा बताया कि गाँव के सरकारी स्कूल मे अब बच्चे एक जैसी ड्रेस पहन कर स्कूल आयेगे उससे उनमे एकरुपता आयेगी एंव अनुशासित रहेगे तथा बच्चो को प्रायवेट स्कूल जैसा माहोल मिलेगा , बच्चो को निजी स्कूल जैसी फिलिंग आयेगी , युवा संघठन चाहता है कि गांव के सरकारी स्कूल मे भी प्रायवेट स्कूलो जेसे अच्छे संसाधन उपलब्ध हो , गाँव के गरीब तबके के बच्चे भी अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सके तथा गाँव के सभी वर्ग के लोग प्रायवेट स्कूलो की तरफ ना भाग कर अपने अपने बच्चो को गाँव मे ही सरकारी स्कूल मे पढाये गया गाँव के युवाओ के द्वारा धनराशी एकत्र कर उनके सहयोग से प्रायवेट स्कूलो जेसी ड्रेस खरीदी गई ज्ञात हो कि इस वर्ष गलती से सरकार के द्वारा 22 जिलो मे गणवेश की राशी गलत खातो मे डाल दी गई थी जिसके कारण स्कूलो में नही थी बच्चो के पास ड्रेस