जैन चातुर्मास धार्मिकता व समरसता का प्रतीक है,-साध्वी प पु स्नेहांजना जी महाराज साहब,,हुआ मंगल प्रवेश
रिपोर्टर – काशिनाथ भंडारी
नन्दुरबार -नन्दुरबार के समीप खेतिया नगर मे
जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक खतरगच्छ संघ खेतिया के तत्वावधान में प पु आचार्य श्री जिनमणिप्रभ सूरीश्वरजी म सा की आज्ञानुवर्तनी प पु सुलोचना श्रीजी म सा व प पु सुलक्षणा श्रीजी म सा,की शिष्या प पु प्रिय स्नेहांजना श्रीजी म सा आदि चार ठाणा का आज पानसेमल रोड से चातुर्मास हेतु भव्य प्रवेश बैंड बाजे के साथ,,छोटे छोटे बच्चों की मंगलमय प्रस्तुति के साथ बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाओं की उपस्थिति में शहर के मुख्यमार्गों से होकर स्व0 चम्पादेवीबनेचन्दजी नाहर आराधना भवन में प्रवेश हुआ।
जैन धर्म मे चातुर्मास की परम्परा अत्यंत प्राचीन है।यह भगवान ऋषभदेव से लेकर भगवान महावीर तक व तब से अब तक अनवरत रूप से चली आ रही है।चातुर्मास का अर्थ है जैन साधू साध्वियों का चार मास एक निर्दिष्ट स्थान पर ठहरना,जो वर्षा ऋतु के साथ आरम्भ होता है ।वर्षा काल मे जीव जंतुओं की उतपत्ति बढ़ जाती है अतः जीवो की रक्षा व तथा संयम साधना के लिए चातुर्मास का विधान है।
जैन धर्म का चातुर्मास धार्मिक आस्था व समरसता का प्रतिक है,।उक्त विचार चातुर्मास को लेकर विद्वान साध्वीजी द्वारा व्यक्त किये।
त्रिशला नंदन वीर की जय बोलो महावीर की जय घोष के साथ भव्य मंगल प्रवेश हुआ,ज्ञान वाटिका जैन पाठशाला,बच्चों ने धार्मिक प्रस्तुति के साथ हम जैन है कि प्रस्तुति देकर बहुत प्रशंसा बटोरी। सन्तो के आगमन के साथ जैन धर्मावलंबियों ने अपने घरों के समक्ष उत्साह से स्वागत पूजन किया।
आज सन्तो के प्रवेश के साथ उत्साह का वातावरण बना है वही ,,जैन खतरगच्छभवन में इस अवसर,पर सूरत,अक्लकुआ, वन्याविहिर,मंदना,शहादा, दोनवाडा, तलोदा,पानसेमल सहित विभिन्न स्थानों से आये जैन संघ के प्रतिनिधियों का अभिनन्दन किया।
इस शुभ अवसर पर स्वामी वात्सल्य का लाभ शकुंतला देवी गौतमचन्दजी नाहर परिवार खेतिया व नवकारसी का लाभ लूणिया परिवार ने लिया
चातुर्मास काल में धार्मिक गतिविधियों के साथ विभिन्न धार्मिक आयोजन व महत्वपूर्ण त्यौहार संवत्सरी,जन्म कल्याणक भी समयानुसार होंगे,।सन्तो के आगमन के साथ अब नियमित धार्मिक गतिविधिया निरन्तर संचालित होगी।