राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान के विशेषज्ञों ने देखे आशाग्राम के प्रकल्प
रिपोर्टर अविचल राजा शर्मा
बड़वानी 15 जुलाई 2024/किसी भी शिक्षा को यदि किताबी ज्ञान के साथ-साथ धरातल पर भी प्रायोगिक रूप से जोड़कर यदि अमल में लाया जाता है तो वह अपने सार्वभौमिक प्रकटीकरण का स्पष्ट प्रभाव छोड़ती है। विशेष कर दिव्यांगजनों के क्षेत्र में विशेष शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों के लिए इसके परिणाम हितकारी होने के साथ-साथ पुनर्वास क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों के लिए प्रेरणादाई होते हैं। उक्त बातें राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान सीहोर मध्य प्रदेश से जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र आशाग्राम ट्रस्ट आए वरिष्ठ विषय विशेषज्ञों ने सेवा प्रकल्पों का अवलोकन के दौरान कही। उन्होंने कहा हम जो हमारे राष्ट्रीय संस्थान में विभिन्न पाठ्यक्रमों के अंतर्गत अध्यनरत विद्यार्थियों को दिव्यांगजनों के पुनर्वास की शिक्षा प्रदान कर रहे हैं उसे आशा ग्राम ट्रस्ट में धरातल पर साकार होते देखा जा सकता है। संस्थान के विशेषज्ञ श्री आर के नागर एवं श्री जेपी दिवाकर ने बताया कि एक और आशा ग्राम ट्रस्ट ने संस्थागत पुनर्वास को आदर्श स्वरूप में प्रस्तुत करते हुए कुष्ठ रोगियों को स्वावलंबी बनाया है वही सामुदायिक पुनर्वास के क्षेत्र में भी ट्रस्ट के सीबीआर कार्यक्रम की विशेष ख्याति है। मानसिक रोगियों के सामुदायिक एवं पारिवारिक पुनर्वास में चौकसी वाला ज्वेलर्स के समन्वय से निराश्रित मनोरोगियों के पुनर्वास के लिए अनुकरणीय पहल की जा रही है तथा बहुत ही कम समय में 34 लोगों को परिवार में पुनर्वासित करना किसी कीर्तिमान से कम नहीं है। इस दौरान सीहोर से आए विशेषज्ञों के द्वारा दिव्यांग जनों के लिए चार दशक से अनवरत संचालित कृत्रिम अंग उपकरण निर्माण इकाई में दिव्यांगों के लिए संचालित कैलिपर बैंक एवं स्वावलंबन इकाई शिवकुंज ताना-बाना के उत्पादों का भी अवलोकन कर किए जा रहे कार्यों की सराहना की। इस दौरान आशाग्राम ट्रस्ट के कार्यकर्ता उपस्थित थे।