यह तस्वीर वाले क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था का अभाव: डेंजर जोन बन रहा है,

रिपोर्टर रवीन्द्र सिसोदिया
मांडू पर्यटन स्थल के नीलकंठ मंदिर क्षेत्र की डेंजर जोन पहाड़ी क्षेत्र की एक ऐसी तस्वीर बता रहे हैं जो यहां आने वाले पर्यटकों के लिए यह जानलेवा साबित होने के बाद भी यहां पर्यटक सेल्फी लेने से नहीं मान रहे हैं। और यह स्थल दुर्घटना से ग्रसित क्षेत्र बनते जा रहे हैं।
मांडू पर्यटन स्थल के चारों ओर 48 माइल क्षेत्र में फैले पहाड़ी क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था नहीं,यहां आने वाले पर्यटक
इन दिनों मोबाइल कैमरे के जरिए सेल्फी यानी अपनी तस्वीर खुद उतारने के शौक के के चलते यहां के काकड़ा खो ,नीलकंठ, चिस्तीखा लोहानी गुफा मालीपुरा की पहाड़ियों के आसपास कई बार सेल्फी लेने के चक्कर में जानलेवा साबित होने की खबरें आने के बाद भी। यहां सुरक्षा व्यवस्था और खतरे के बोर्ड नहीं होने के कारण यहां, नई पीढ़ी से जुड़े पर्यटक इस जाल में बुरी तरह कैद हो जाते है।आज हर कोई रोमांचक, हैरानी में डालने वाली एवं विस्मयकारी सेल्फी लेने के चक्कर में अपनी जान की भी परवाह मांडू आकर ऐसी जगह पर नहीं कर रहे हैं।
लेकिन हैरानी की बात यह है कि लोग ऐसी घटनाओं से कोई सबक नहीं लेते और यहां शासन प्रशासन की इन जगह सुरक्षा व्यवस्था की कमी भी मूकदर्शक बन इन हादसों को देख नही रही हैं।
● मांडू के यह पांच डेंजर जोन है जहां कई हादसे हो चुके हैं उसके बावजूद भी यहां कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है
काकड़ा खो ,नीलकंठ की पहाड़ी, चिस्तीखा की पहाड़ी, लोहानी गुफा की पहाड़ी,मालीपुरा की पहाड़ी ऐसे यह क्षेत्र है जहां सेल्फी लेने के चक्कर में कई जाने जा चुकी हैं उसके बावजूद भी यहां सुरक्षा व्यवस्था के कोई प्रबद्ध नहीं है साथ ही यहां डेंजर जोन के शाइनिंग बोर्ड तक नहीं.
मांडू पर्यटन को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन जमीनी हकीकत की बात की जाए तो मांडू में आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर यहां शासन प्रशासन के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। पिछले कई वर्षों से यहां इन डेंजर जोन पहाड़ी क्षेत्र में सेल्फी लेने के चक्कर में कई जाने जा चुके हैं।
उसके बावजूद भी आज तक यहां सुरक्षा व्यवस्था नहीं सुधरी है।
ऐसे में यहां आने वाले नवयुवा के युवा पीढ़ी के पर्यटक इन खतरनाक जगह जाकर सेल्फी लेते हैं और दुर्घटना का शिकार होते हैं, अगर यहां पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था और उससे जुड़े प्रयास हो तो, यहां दुर्घटना का अंदेशा कम हो सकता है, पर ऐसा नहीं हो रहा ।
किसी हादसे में हुई मौतों में हालात के कई पहलू होते हैं। लेकिन सेल्फी की वजह से हुई मौतें इसलिए ज्यादा दुखद हैं कि ये महज शौक के चलते बरती गई लापरवाही का नतीजा होती हैं। सेल्फी के बढ़ते प्रचलन, उससे हो रही दर्दनाक मौतें किसी एक राष्ट्र की समस्या नहीं है, यह एक अन्तर्राष्ट्रीय समस्या बनती जा रही है। इस दीवानगी को ओढ़ने के लिये प्रचार माध्यमों ने तो गुमराह किया ही है, लेकिन सोशल साइट्स भी भटका रही हैं। इस जानलेवा महामारी को समय रहते नहीं रोका गया तो आने वाले समय में हर व्यक्ति को यह त्रासद एवं डरावनी मौत का शौक प्रभावित कर सकता है। इस पर जनजागृति अभियान चलाये जाने एवं सरकार द्वारा प्रतिबंध की व्यवस्था किये जाने की जरूरत है।