सिद्धचक्र महामंडल विधान के पांचवे दिन भगवान श्रीजी के समक्ष मंडल पर 256 अर्घ्य समर्पित किए गए।

रिपोर्ट विपिन जैन
सनावद। श्री दिगम्बर जैन पोरवाड़ जैन धर्मशाला में सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन किया जा रहा है। सन्मति जैन ने बताया की विधान के पांचवे दिन पंडित नितिन झांझरी इंदौर के निर्देशन में सभी इंद्र इंद्राणीयो ने श्रीजी के समक्ष मंडल जी पर 256 अर्घ्य चढ़ाए। साथ ही भगवान की विशेष पूजा-अर्चना की गई। इस महोत्सव के पुणयार्जक परिवार हेमचंद मंजुला भूच परिवार के द्वारा आयोजित इस धार्मिक अनुष्ठान के आयोजन के पहले दिन से आज तक प्रतिदिन धर्मानुरागी बंधुगण सुबह से बड़ी संख्या में भगवान का अभिषेक, शांतिधारा, पूजन और विधान करने बड़े भक्ति भाव से पहुंच रहे हैं। व रात्रि में लोकेश जैन एंड पार्टी के द्वारा भगवान की आरती भक्ति कर सभी को मंत्र मुक्त कर रहे है वही
नगर में विराजमान एवम मंडल विधान में अपना सानिध्य प्रदान करने वाली आर्यिका 105 सरस्वती माताजी ने कहा कि सिद्धचक्र महामंडल विधान के आयोजन में सिद्धों की आराधना करने व सिद्ध भगवान के गुण अनुभाव का अवसर हमें प्राप्त हुआ है। सिद्ध भगवान तीनों कर्म मलों से रहित हो गए हैं। देह से रहित अनंत काल तक आनंद में विराजते हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने दैनिक जीवन में मन से, वचन से,काय से, गलत काम करना, कराना एवं करने वाले की अनुमोदना करना, क्रोध के कारण, मान के कारण, माया के कारण, लोभ के कारण, किसी गलत कार्य को करने का विचार करना, गलत कार्य करने के साधन जुटाना एवं कार्य को प्रारंभ करना इस प्रकार से कुल 108 प्रकार के पापों का आश्रव करते रहते हैं। इसी अवसर एक दिन पूर्व रात्रि में श्री शुपार्श्वनाथ महिला मंडल के द्वारा महावीर अष्टक पर नृत्य नाटिका की शानदार प्रस्तुति दी गई।
रविवार को मनाया जायेगा गुरु पूर्णिमा का पर्व रविवार को अष्टानिका पर्व के समापन व गुरुपूर्णिमा के अवसर पर सकल जैन समाज के द्वारा प्रातः जैन धर्मशाला से रथ यात्रा निकाल कर नगर भ्रमण कर के शुपार्श्वनाथ जैन मंदिर में जुलुस का समापन कर श्री की का अभिषेक कर अष्टानीका पर्व का समापन किया जायेगा।