पारंपरिक परंपरा के पारितोषिक का निर्वाह आज भी देवभोग ब्लॉक के अन्तर्गत आने वाला ग्राम मुड़ागाव कर रहे है

रिपोर्टर, दिलीप नेताम
सदियों से चला आ रहा है हमारे भारत देश की संस्कृति,, ये वरदान है ईश्वर और देवी देवताओं का, ये धरा साधु संतो के कारण टीका हुबा है हमारे पूर्वज के अच्छे कर्मों से,, उनके ही पद चिन्हों पे चल रहे है कुछ लोग,, वैसे ही एक पारंपरिक त्योहार है रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ की निकलती है सवारी,, खास करके, ओडिसा के लोग,, पूरी के लोग पूरी श्रद्धा से इस त्यौहार को मानते है,, शहरों में तो केवल एक दिन ही मानते है परन्तु छत्तीसगढ के अंचल में बसा गरियाबंद जिला के अन्तर्गत आने वाला ब्लॉक देवभोग में दो बार मानते है,, मुड़ागाव के टीप पारा मे सभी बैगा लोग सफेद वस्त्र धारण कर नारियल, अगरबत्ती, के साथ शंख नाद करती हुवे लाई, मूंग का प्रसाद बाटते हुवे भगवान जगन्नाथ की मूरत को बहलाने के लिए मेला भी लगाते है,, यहां की परंपरा और पूजा देख कर ऐसा लगता है कि छोटा जगन्नाथ पुरी यही है,, इस त्यौहार में जितने भी यहां के लोग बाग भाई बहन बहु बेटी,, बाहर जाएं रहते हैं कोई काम के सिलसिले से तो कोई विवाह कर तो कोई यहां आने का प्लान बना कर मतलब इस दिन आना तय है,, गरियाबंद से 127 किलोमीटर की दूरी पर यह गांव मुड़ागाव स्थित है, इसी परंपरा का निर्वाह करने आज यह रथ यात्रा की शोभा समक्ष उपस्थित है,,