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प्रशासन की नाकामयाबी खुल के उड़ी मुख्यमंत्री व कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के आदेशों की धज्जियां

 

रिपोर्टर राजा सांखला

 

भीकनगांव गुरुवार को मोहर्रम पर्व के जुलूस में सरेआम प्रदेश के मुख्यमंत्री व खरगोन कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के आदेशो की धज्जियां उड़ती नजर आई। प्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव के शपथ ग्रहण के तुरन्त बाद पहला बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश में सभी तरह के धार्मिक आयोजनों में सार्वजनिक रूप से ध्वनि विस्तारक यंत्र डी,जे आदि बजाने पर रोक लगाते हुए मध्यप्रदेश के समस्त जिला कलेक्टरो को आदेश जारी किये थे कि कहीं भी भी अगर ध्वनि प्रदूषण होता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाही होगी लेकिन भीकनगांव में पुलिस प्रशासन एस.डी.एम, एस.डी.ओ.पी. तहसीलदार, थाना प्रभारी सहित तमाम प्रशासनिक अधिकारीयों की मौजूदगी में कलेक्टर व मुख्यमंत्री के आदेशों की सरेआम धज्जियां उड़ाते हुए मुख्यमंत्री के आदेश को जेब में रख हवा में उड़ाते नजर आया ।जहा बिना अनुमति तेज आवाज में सरकार के निर्धारित डेसिबल व बड़े डीजे बॉक्सो को तेज आवाज में साउंड चलाते नजर आया लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा कोई कार्यवाही नही की गयी जब कि भीकनगांव थाना प्रभारी एसडीएम एसडीओपी तहसीलदार की गाड़ियों का काफिला साथ था लेकिन कार्यवाही के नाम पर सिर्फ तमासा देखते रहे ओर गांधी चौराहे पर सभी प्रशासनिक अधिकारियों ने शहर सदर से पुष्प मालाएं पहनकर बाकायदा अपना सम्मान भी करवाया।ये है मुख्यमंत्री व कैबिनेट में निर्धारित नियम

13 दिसम्बर को प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव की पहली बैठक फैसला लिया जिसमे लाउडस्पीकर प्रतिबंधित किये थे साथ ध्वनि प्रदूषण अधिनियम, 2000 के तहत औद्योगिक, कर्मशियल, रिहायशी और शांत क्षेत्र में दिन और रात के समय ध्वनि की अधिकतम तीव्रता तय की थी जो इस प्रकार है

दिन रात डेसिबल में ध्वनि की सीमा

औद्योगिक क्षेत्र

दिन 75 डेसिबल रात 70 डेसिबल

कमर्शियल क्षेत्र

दिन 65 डेसिबल रात 55 डेसिबल

रिहायशी क्षेत्र

दिन 55 डेसिबल रात 45 डेसिबल

शांत क्षेत्र

दिन का 50 डेसीबल रात 40 डेसीबल निर्धारित किया गया था

सवाल क्या एक समुदाय के लोगों के लिए ही है कानून ?*

भीकनगांव नगर में मुख्यमंत्री के आदेश के पश्चात अनेको आयोजन हुए है लेकिन भीकनगांव प्रशासन हर बार सख्त रवैया अपना कर सभी स्थानीय डीजे संचालकों को आदेश उलंघन पर शख्त कार्यवाही के साथ ही आयोजन में डीजे बन्द करवा कर उसे जब्त करने की बात कही जाती थी लेकिन मोहर्रम के जुलूस में थाना प्रभारी एसडीएम, एसडीओपी व थाना प्रभारी सहित भीकनगांव के तमाम प्रशासनिक अधिकारियों ने जैसे आँख बंद कर व हाथ बांधे मोन नजर आये। आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी जो मुख्यमंत्री तथा कलेक्टर के आदेश की धज्जियां उड़ती रही ओर प्रशासनिक अधिकारी चुप्पी साधे रहे ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सिफ एक समुदाय के लिए ही है यह कानून ओर आदेश का पालन कराने के लिए बाध्य कराया जाता है? नगर मे कुछ दिनों पहले हुई शांति समिति की बैठक में डीजे नही बजाने का निर्णय लिया गया था जिसके बाद भी बड़े डीजे बॉक्स निर्धारित डेसिबल से ज्यादा के बजा कर सरेआम कानून का उल्लंघन किस लिए है।

अब सवाल यह उठता है कि जब कोई प्रसासनिक अनुमति नह थी तो प्रशासन ने किसके दबाव में कोई कार्यवाही क्यू नही की मोन्न रह कर क्यू देखता रहा

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