होम्योपैथी डाक्टर भी लिख रहे एलोपैथी दवाई , सारे नियम कायदे हास्य पर

रिपोर्टर मोहम्मद आसीफ लंघा
आमला ।। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते स्वास्थ्य विभाग के सारे नियम कायदे हास्य पर रख क्षेत्र के होम्योपैथी डाक्टर लोगो का इलाज कर रहे है वही सिविल अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी कोर्ट के आदेशो को भी अनदेखा कर ऐसे झोलझाप डाक्टरों को संरक्षण दे रहे है गोरतलब है की
शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज कर रहे अधिकतर डाक्टरों के पास कोई डिग्री नहीं है जबकि जिन डाक्टरों के पास डिग्री है वो होम्योपैथी की है लेकिन उसके बाद भी वह एलोपैथी दवाई लिखने से बाज नहीं आते है इतना ही नहीं ऐसे डाक्टर जिनके पास होम्योपैथी की डिग्री है वो बोटल लगाने से भी परहेज नहीं करते है। क्षेत्र में सबसे ज्यादा झोलाछाप डॉक्टरों का जाल फैला है।जो एलोपैथी पद्धति से इलाज कर रहे है जिस वजह से कई बार इलाज करवाने वाले मरीजों की जान पर भी बन आई है । कुछ वर्ष पूर्व देखने में आया था शहर के एक डाक्टर द्वारा गलत इलाज करने से मरीज को अपनी जान गवानी पड़ी थी जिसके बाद उक्त डाक्टर का क्लीनिक सिल कर दिया था लेकिन उसके बाद उक्त डाक्टर द्वारा पुनः अपना क्लीनिक शुरू कर इलाज करना शुरू कर दिया
*होम्योपैथी के डॉक्टर एलोपैथी की दवाइयां नहीं लिख सकते : कोर्ट
होम्योपैथिक डॉक्टर्स की आइडियल केयर एसोसिएशन की उस याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया, जिसमें हाईकोर्ट से मांग की गई थी कि एलोपैथी डॉक्टर्स की तरह उन्हें भी इंजेक्शन लगाने, दवाइयां लिखने की अनुमति दी जाए। हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में कहा- ऐसा बिलकुल नहीं किया जा सकता। इस तरह तो मेडिकल दुकान चलाने वाला भी ऑपरेशन करने की अनुमति मांगने लगेगा कि वह सर्जरी संबंधी दवाइयों की जानकारी रखता है, इसलिए उसे परमिशन दे दी जाए।
जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा की खंडपीठ के समक्ष याचिका की हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला दिया कि न केवल होम्योपैथी बल्कि, प्राकृतिक चिकित्सक, यूनानी, आयुर्वेदिक डॉक्टर्स भी एलोपैथी की दवाई या उस पद्धति से इलाज नहीं कर सकते। हर पद्धति की अपनी-अपनी इलाज की शैली है उसी तरह से प्रैक्टिस की जाना चाहिए। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रैक्टिस की व्यवस्थित रूपरेखा बना रखी है। उसे इस तरह बिगाडा नहीं जा सकता।
आमला ब्लाक मे झोलाछापो की चल रही मनमानी
बीते कुछ वर्षो मे अनेको लोग झोलाछाप डाक्टरों के गलत इलाज से अपनी जान तक गवा बैठे है और कुछ अपंग या अन्य बीमारियों के शिकार हो गये फिर भी शहर सहीत ब्लाक के ग्रामो मे खुलेआम झोलाछापो के अवैध क्लिनिक खुले हुए है और वे आज भी मरीजों की जान से खिलवाड़ करने से नही चुक रहे और इन मामलो की बकायदा लिखित शिकायते भी हुई लेकिन स्वास्थ विभाग के बीएमओ और सीएम एच ओ द्वारा कड़ी कार्यवाही नही की जा रही है।
झोलाछापो ने अब खुलवा लिए क्लिनिक मे मेडिकल*
आमला या ग्रामो की अगर बात करे तो अनेको झोलाछापो ने अपने क्लिनिक से लगकर मेडिकल स्टोर तक खुलवा लिए है जिनसे वह दवाओ का भी व्यापार करने मे मशगूल है और जिस कम्पनी की चाहे दवाईया कमीशन के चककर मे चलवा रहे है और यह सिलसिला बदस्तूर जारी है ग्राम बोरी मे भी मेडिकल संचालक महेश रावत स्वयंहोम्योपैथी डाक्टर भी लिख रहे एलोपैथी दवाई , सारे नियम कायदे हास्य पर
आमला ।। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते स्वास्थ्य विभाग के सारे नियम कायदे हास्य पर रख क्षेत्र के होम्योपैथी डाक्टर लोगो का इलाज कर रहे है वही सिविल अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी कोर्ट के आदेशो को भी अनदेखा कर ऐसे झोलझाप डाक्टरों को संरक्षण दे रहे है गोरतलब है की
शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज कर रहे अधिकतर डाक्टरों के पास कोई डिग्री नहीं है जबकि जिन डाक्टरों के पास डिग्री है वो होम्योपैथी की है लेकिन उसके बाद भी वह एलोपैथी दवाई लिखने से बाज नहीं आते है इतना ही नहीं ऐसे डाक्टर जिनके पास होम्योपैथी की डिग्री है वो बोटल लगाने से भी परहेज नहीं करते है। क्षेत्र में सबसे ज्यादा झोलाछाप डॉक्टरों का जाल फैला है।जो एलोपैथी पद्धति से इलाज कर रहे है जिस वजह से कई बार इलाज करवाने वाले मरीजों की जान पर भी बन आई है । कुछ वर्ष पूर्व देखने में आया था शहर के एक डाक्टर द्वारा गलत इलाज करने से मरीज को अपनी जान गवानी पड़ी थी जिसके बाद उक्त डाक्टर का क्लीनिक सिल कर दिया था लेकिन उसके बाद उक्त डाक्टर द्वारा पुनः अपना क्लीनिक शुरू कर इलाज करना शुरू कर दिया
होम्योपैथी के डॉक्टर एलोपैथी की दवाइयां नहीं लिख सकते : कोर्ट
होम्योपैथिक डॉक्टर्स की आइडियल केयर एसोसिएशन की उस याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया, जिसमें हाईकोर्ट से मांग की गई थी कि एलोपैथी डॉक्टर्स की तरह उन्हें भी इंजेक्शन लगाने, दवाइयां लिखने की अनुमति दी जाए। हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में कहा- ऐसा बिलकुल नहीं किया जा सकता। इस तरह तो मेडिकल दुकान चलाने वाला भी ऑपरेशन करने की अनुमति मांगने लगेगा कि वह सर्जरी संबंधी दवाइयों की जानकारी रखता है, इसलिए उसे परमिशन दे दी जाए।
जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा की खंडपीठ के समक्ष याचिका की हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला दिया कि न केवल होम्योपैथी बल्कि, प्राकृतिक चिकित्सक, यूनानी, आयुर्वेदिक डॉक्टर्स भी एलोपैथी की दवाई या उस पद्धति से इलाज नहीं कर सकते। हर पद्धति की अपनी-अपनी इलाज की शैली है उसी तरह से प्रैक्टिस की जाना चाहिए। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रैक्टिस की व्यवस्थित रूपरेखा बना रखी है। उसे इस तरह बिगाडा नहीं जा सकता।
आमला ब्लाक मे झोलाछापो की चल रही मनमानी
बीते कुछ वर्षो मे अनेको लोग झोलाछाप डाक्टरों के गलत इलाज से अपनी जान तक गवा बैठे है और कुछ अपंग या अन्य बीमारियों के शिकार हो गये फिर भी शहर सहीत ब्लाक के ग्रामो मे खुलेआम झोलाछापो के अवैध क्लिनिक खुले हुए है और वे आज भी मरीजों की जान से खिलवाड़ करने से नही चुक रहे और इन मामलो की बकायदा लिखित शिकायते भी हुई लेकिन स्वास्थ विभाग के बीएमओ और सीएम एच ओ द्वारा कड़ी कार्यवाही नही की जा रही है।
झोलाछापो ने अब खुलवा लिए क्लिनिक मे मेडिकल
आमला या ग्रामो की अगर बात करे तो अनेको झोलाछापो ने अपने क्लिनिक से लगकर मेडिकल स्टोर तक खुलवा लिए है जिनसे वह दवाओ का भी व्यापार करने मे मशगूल है और जिस कम्पनी की चाहे दवाईया कमीशन के चककर मे चलवा रहे है और यह सिलसिला बदस्तूर जारी है ग्राम बोरी मे भी मेडिकल संचालक महेश रावत स्वयं अस्पताल खोलकर झोलाछाप डाक्टर बन गया है इसी तरह नगर के नामचीन कुछ मेडिकल संचालक झोलाछाप डाक्टरों को पाले हुए है और झोलाछाप उनके मेडिकल के धंधे को फल फुला रहे है और स्वास्थ सेवा कार्य एक व्यवसाय बन गया । सेवा कार्य एक व्यवसाय बन गया ।