गुरु ही हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है…..गुरु की महिमा अनंत है

रिपोटर अविचल राजा शर्मा
निवाली नगर के पद्मश्री स्व. कांता बहन त्यागी शासकीय महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में मध्य प्रदेश शासन, उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार दो दिवसीय गुरु पूर्णिमा उत्सव के अंतर्गत प्रथम दिवस में निर्धारित समय सारणी अनुसार कार्यक्रम का आयोजन किया गया । जिसमें मध्य प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के सभागृह में कार्यक्रम रखा गया, जिसमें माननीय मुख्यमंत्री द्वारा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से संबंधित पूर्व एवं वर्तमान विभाग अध्यक्षों एवं महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गुरुओं का माननीय मुख्यमंत्री के द्वारा सम्मान किया गया । तत्पश्चात माननीय मुख्यमंत्री द्वारा गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में शिष्य के जीवन में गुरु की महत्ता पर जोर देते हुए पूरे प्रदेश को संबोधित किया । जिसका लाइव प्रसारण निवाली महाविद्यालय में स्टाफ एवं विद्यार्थियों द्वारा देखा गया। गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर निवाली महाविद्यालय जन भागीदारी समिति अध्यक्ष विनय सिसोदिया ने कहा कि गुरु शिष्य का सम्बन्ध हमेशा सबसे अच्छा व उच्च माना जाता है। गुरु पूर्णिमा उत्सव, शिष्य द्वारा गुरु का हृदय से सम्मान,फीडबैक देना होता है। उत्सव के प्रथम दिवस में कार्यक्रम का संचालन कर रही प्रो. चाँदनी गोले ने “गुरु को पारस जानिए, करे लोह को स्वर्ण, शिष्य और गुरु जगत में, केवल दो ही वर्ण” पंक्तियों से अपनी बात की शुरुआत करते हुए कहा कि भारत में गुरु शिष्य परंपरा अत्यंत निराली एवं अद्वितीय है । हमारे जीवन में गुरुओं का स्थान सर्वोपरि होता है । हर वो व्यक्ति गुरु की भूमिका में होता है जिससे हम जीवन में कुछ अच्छा सीखते हैं । राज्य शासन द्वारा प्रदेश के विश्वविद्यालयों के कुलपति पद नाम को परिवर्तित करते हुए कुलगुरु रखने का निर्णय वाकई स्वागत योग्य एवं अत्यंत सराहनीय है । डॉ. सुल्तान मोरे ने कहा कि मेरे प्रथम गुरु मेरे माता पिता हैं, जिन्होंने विकट परिस्थितियों में मुझे मार्गदर्शन देकर अच्छी शिक्षा दी है। प्रो. लखन पटवा ने बताया कि गुरु शिष्य का सम्बन्ध प्राचीन समय से विभिन्न ग्रंथो के माध्यम से मिल जाता है । पूरे विश्व में हमारा देश एकमात्र है, जहां गुरु शिष्य कि परम्परा को गुरु पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है। हम आज भी माता पिता एवम् प्राथमिक शिक्षक जिन्होंने बचपन में ही हमारे जीवन को संवारा है उनका आज भी ह्रदय से सम्मान करते हैं।
इसके पश्चात इसके पश्चात गुरु शिष्य परंपरा के महत्व पर आधारित वीडियो स्टूडेंट्स एवं स्टॉफ को स्मार्ट बोर्ड के माध्यम से दिखाया गया । इस अवसर पर महाविद्यालय के डॉ.जी. आर.मोरे, डॉ. सुल्तान मोरे ,प्रो.अनार सिंह किराड़े, डॉ.भगतसिंह चौहान, डॉ. सुधा टेटवाल, प्रो.लखन पटवा, कार्यालय प्रमुख वरिष्ठ नरसिंह रावत, रवि नामदेव, डॉ. शारदा खरते, विशाल सूर्यवंशी, तुकाराम निगवाल, तुकाराम सोलंकी, गोरेलाल सोलंकी, गीता सोलंकी एवं अनेक छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।