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गुरु, ज्ञान रूपी प्रकाश से विधार्थियों को आलोकित करते हैं।

 

रिपोर्टर – शिवकुमार कंडरा

 

शासकीय बालक माध्यमिक शाला हसदा नं1 में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु पूर्णिमा उत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस गरिमामय कार्यक्रम की शुरुआत वीणावादिनी मां सरस्वती की वंदना एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। शिक्षक शिवशंकर साहू ने गुरु पूर्णिमा मनाने के उद्देश्य एवं पारंपरिक गुरु शिष्य संस्कृति पर प्रकाश डाला। तत्पश्चात प्रधान पाठक ए. एस. कंवर ने उद्बोधन में कहा कि प्राचीन काल में प्रचलित गुरुकुल व्यवस्था एवं उसका भारतीय संस्कृति पर प्रभाव के कारण भारत विश्व गुरु होता था।महान शिष्यों को याद करते हुए कहा कि अभिमन्यु, एकलव्य, आरूणी, अर्जुन, राम, कृष्ण, विवेकानंद जो हैं वो गुरूजनों के बदौलत हुए। शिक्षक बी.एल.ध्रुव ने गुरू -शिष्य की पौराणिक कहानी के माध्यम से गुरु को ईश्वर से पहले प्रणाम करने के बारे में बताया। शिक्षिका सरोजबाला साहू ने आरूणी की गुरुभक्ति सुनाकर शिष्यों को प्रेरणा दी एवं गीत सुनाकर विधार्थियों में समां बांधा। शिक्षिका हेमलता मरकाम ने गुरूओं को ब्रम्हा, विष्णु और महेश की उपाधि से सम्मानित करतें हुए सुमधुर गुरुवंदना गीत गाकर भावविभोर कर दिया। शिक्षिका भोलेश्वरी साहू ने बच्चों को गुरु पूर्णिमा पर बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित की।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए शिक्षक शिवशंकर साहू ने कहा कि गुरु कुम्हार के समान होता है, जो विद्यार्थियों को अच्छे इंसान एवं नागरिक बनाकर अपना फर्ज निभाता है। पौराणिक कथाओं के द्वारा संस्मरण सुनाकर गुरु – शिष्य के संबंध को रेखांकित किया। अंत में विद्यार्थियों के द्वारा सभी गुरुजनों को श्रीफल और पेन भेंट कर सम्मानित किया गया।

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