शहरवासियों ने सरकारी बसें चालू कराने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

रिपोर्टर मोहम्मद अय्युब
इंदौर/रतलाम/झाबुआ.मध्य प्रदेश में फिर से सड़क परिवहन निगम की सरकारी बसे संचालित हो, या जन जन की आवाज बने और सरकार तक पहुंचे। सरकार भी इस पर विचार करें। सरकारी बसें शुरू होती है तो हर आम इंसान को बेहतर और सुरक्षित यात्रा की सुविधा मिलेगी। पत्रिका जन अभियान के साथ जुड़े शहरवासियों के साथ गुरुवार दोपहर छत्रीपुल कार्यालय पर आयोजित टॉक शो में राज्य परिवहन निगम चालू करने को लेकर चर्चा की, जिसका सभी ने समर्थन किया। इसके बाद सभी सदस्य सामूहिक रूप से जिला कलेक्टोरेट कार्यालय पहुंचे। जहां पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नाम ज्ञापन देकर सड़क परिवहन
निगम को पुनः चालू करने की पुरजोर मांग की गई। ज्ञापन एसडीएम अनिल भाना को सौपा और वाचन राजेश पुरोहित ने किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से रवि नरुका, कृष्ण सिंह देवड़ा, कुलदीप सिंह चुडावत, शुभम पांडे, संदीप, जयवंत गुप्त, विकाल शैवाल, कीर्ति कुमार शर्मा, एम एल नागावत, महेश कुमार राठौर, प्रेम कुमार बेनावत, एसके मिश्रा, हेमंत अजमेरा, अनिल कटारिया, डॉ अभय ओहरों, निखिलेश सिंह पवार, विनोद पाटीदार, नरेंद्र सिंह चौहान, सुनील शर्मा, रणजीत सिंह राठौड़ आदि नागरिक मौजूद थे।
*यात्रियों की समस्याएं बढ़ गई* स्टैंड पर उपस्थित सदस्यों ने कहा कि जब से परिवहन निगम बंद हुई है तब से यात्रियों की समस्याएं बढ़ गई है, क्योंकि निजी
बस ऑपरेटर की मनमर्जी और बसों में यात्रियों की सुविधाओं और नियमों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हर तरफ जोखिम भरा सफर करने पर यात्री मजबूर है। सड़क परिवहन निगम फिर से शुरू होना चाहिए, इस मुद्दे को लेकर जो जन अभियान शुरू किया है, वह रूकना नहीं चाहिए। आम जनता के साथ शहर की सामाजिक धार्मिक संस्था संगठन जुड़कर पूरजोर मांग सरकार के समक्ष रखना चाहिए। राज्य परिवहन निगम गरीब मध्यम और ग्रामीण क्षेत्र के लिए सेतु का काम करता था लेकिन 2006 में बंद कर दिया। जबकि अन्य राज्यों में आज भी चल रही है और हमारे यहां निजी बसों के हवाले कर दिया।
*राजेश पुरोहित
*क्या कहा.
राजस्थान-गुजरात आदि जगहों से सरकारी बसें संचालित हो रही नागरिकों को सुविधा के साथ आगामी रक्षा बंधन पर बहनों की छूट मिलती है, लेकिन निजी बसों में आकर परेशानी से भरा रहता है अभियान को अनवरत जारी रखना कहिए।
*नरेंद्र सिंह* चौहान
ग्रामीण अंचल में सड़क का निर्माण तो हो गया, लेकिन वे शहर से अब तक नहीं जुड़ पाए. क्योंकि वहां तक परिवहन की सुविधा नहीं है। शहर से लेकर अंबल तक सरकारी परिवहन सेवा शुरू होना चाहिए। ताकि ग्रामीणों को समय पर सुविधा मिल सके।
सुनील शर्मा अभियान अच्छा है, सरकारी बसे शुरू होना याहिए। लेकिन इसके लिए लम्ही लड़ाई लड़ना बड़ेगी, क्योंकि इसमें बड़े-बड़े सूपों पर वृस्य हस्त प्राप्त है, जो इसका विरोध करेंगे। हमें अनवरत अभियान जारी रखना है। इन चुचों का भी सामना करना पड़ेगा।*हेमंत अजमेरा*
*इंदौर के कई रूटों पर अब 10 से 12 गुना परमिट*
बस ऑपरेटर एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारी खुद स्वीकार करते हैं कि सपनि के समय बसों के परमिट की फ्रीक्वेंसी सही थी, लेकिन कई रूटों पर अब 10 से 12 गुना परमिट है। उस समय बुरहानपुर के लिए 4 बसें थीं, अब 50 बसें हैं। खंडवा रूट पर 12 गुना परमिट बढ़ गए हैं। पहले करीब 17 फेरे लगते थे, लेकिन अब 100-125 फेरे लगाए जा रहे हैं, जबकि इतनी जरूरत नहीं है खंडवा-खरगोन में करीब 30 मिनट की गैप होना चाहिए। महू- पीथमपुर में 15 मिनट, वहीं उज्जैन-देवास रूट पर 15 से 20 मिनट में एक बस होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
*प्रशासन ने बस स्टैंड के लिए जगह नहीं खोजी*
स्टैंड पर बसों के खड़े रहने के स्टैंड लिए जगह नहीं है। यहां 10 साल पहले बस स्टैंड चिन्हित करने की कोशिश की गई थी। सालों बाद भी प्रशासन बस स्टैंड के लिए 10 एकड़ जगह नहीं खोज सका। स्टैंड पर बसों के खड़े रहने का स्थान छोटा पड़ने लगा है। बस चालक परिचालकों को मात्र 5 मिनट से भी कम समय दिया जा रहा है । जबकि कम से कम 15-20 मिनट मिलना चाहिए तो ड्राइवर का स्ट्रेस भी कम होगा। दुर्घटनाएं रुकेंगी।
*सईद खान पठान,* स्टाफ, मेघनगर -आलीराजपुर बस सर्विस
*कल्याणकारी योजना कोई भी नहीं जानता*
असंगठित कर्मकार मंडल के अंतर्गत जो कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। उसका लाभ आज तक जिले के किसी भी ड्राइवर- कंडक्टर को नहीं मिला। जबकि ड्राइवर की उम्र होने पर या दुर्घटना में अपंग होने की स्थिति में उन्हें पुनर्वास की योजना स्किल इंडिया प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत है, लेकिन जिले में कोई भी इस योजना के बारे में नहीं जानता।