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वन स्टाफ सेन्टर के चयन में डीपीओ का एक और कारनामा

रिपोर्ट आर एन पाण्डेय

सिंगरौली। जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास अपने काले कारनामों को लेकर सुर्खियों में बने रहना खुद के फिदरत में आ गया है। इस बार वन स्टाफ सेन्टर के निविदा में अपने चहते को लाभ देने के लिए विज्ञापन में ही कई अहम बिन्दु जोड़कर शासन के निर्देश को नजरअंदाज कर कलेक्टर को भी अंधेरे में डाल दिया है।

दरअसल पिछले सप्ताह जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास सिंगरौली के यहां से वन स्टाफ सेन्टर कार्यालय अंतर्गत मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए अनुरोध प्रस्ताव प्रस्तुत करने विज्ञप्ति जारी किया था। जिसमें आउटसोर्स अशा. एनजीओ का निर्धारण किया जाना है, अशा. एनजीओ की योग्यता, अनुभव, चयन, मापदण्ड, मानव संसाधन के अनुभव, मानदेय अन्य की जानकारी के लिए आरपीएफ प्रारूप संचालित संबंधित जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास कार्यालय से शासकीय दिवसों में प्राप्त किये जाने के निर्देश थे। इसके लिए इच्छुक अशा. एनजीओ संस्थाएं अपने अनुरोध प्रस्ताव संबंधित जिले के जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास कार्यालय में निम्नाकिंत विवरण अनुसार प्रस्तुत किया जाना था। आवेदन पत्र देने की अंतिम तारीख कल 31 जुलाई एवं आवेदन पत्र खोले जाने की तिथि 1 अगस्त नियत है। कलेक्टर द्वारा योग्य अशासकीय समाज सेवी संस्था का चयन अगस्त माह में प्रस्तावित है। इसके लिए आवेदन पत्र शुल्क 1 हजार रूपये के लिए डिमांड ड्राप्ट, अमानत राशि 1 लाख रूपये का डिमांड ड्राप्ट जमा किया जाना है। इसके लिए आर्हता मापदण्ड एवं आवश्यक दस्तावेज भी निर्धारित किये गएं हैं। जिसमें आर्हता मापदण्ड में विधिमान्य अशा. एनजीओ का लैगिक-मुद्दों, हिंसा प्रभावित उत्तरजीवी महिलाओं, लैगिक-उत्पीड़न तथा महिला-हिंसा के क्षेत्र में कार्य करने का विधिमान्यता, विधिमान्य अशा. एनजीओ को भ्रष्टाचार अथवा कपटपूर्ण व्यवहार के लिए प्रादेशित एवं राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी शासकीय या अर्द्धशासकीय संगठन/विभाग द्वारा विगत तीन वर्षों में बहिष्कृत या प्रतिबंधित नही किया गया हो, विधिमान्य शासकीय समाज सेवी को शासकीय/ अर्द्धशासकीय परियोजना के संचालन का कम से कम दो साल का अनुभव, लैगिक मुद्दों संबंधित प्रकरणों में प्रतिदिन काम करने का न्यूनतम पॉच वर्ष का विधिमान्य का अनुभव, संस्था के विरूद्ध पुलिस प्रकरण जांच प्रचलन विधिक न्यायालय द्वारा दोष या दण्ड अधिरोपित न किया गया हो। 2020-21 से 2023-24 में 10 लाख का औसतन टर्न ओवर होना आवश्यक है। इसके अलावा अन्य शर्ते भी हैं। वही विधिमान्य अशासकीय समाज सेवी संस्था के चयन के लिए मूल्यांकन मापदण्ड भी तय किया गया है। जिसमें 100 अंकों में लैगिक मुद्दों संबंधित अधिकतम 10 अंक संबंधित एनजीओ का मान्यता पंजीकरण वर्षों के अनुसार 15 अंक। क्षेत्र में कार्यानुभव रखने वाले अमले की संख्या अधिकतम 25। एनजीओ राज्य या केन्द्र सरकार से साथ महिला से जुड़े अनुभव में 20 अंक एवं तीन वर्ष की वित्तीय स्थिति पर अधिकतम 15 अंक तथा प्रस्तुत मानव संसाधन की संख्या, शैक्षणिक योग्ता, सूची के आधार पर। साक्षात्कार एवं अन्य अवार्ड, स्त्रोतों के आधार पर जानकारी देने का 20 अंक प्रावधान तय किया गया है। किन्तु चर्चित जिला कार्यक्रम अधिकारी में 23 जुलाई को विज्ञप्ति में कलेक्टर को भी अंधेरे में रखकर संसोधन कर कई अहम बिन्दु जोड़कर अपने चहेते एनजीओ को लाभ पहुंचाने के लिए शासन के दिशा निर्देशों को भी नजरअंदाज कर चयन में अपनी हुकूमत चलाने का संकेत दे दिया है।अर्हता मापदण्डों में किया छेड़छाड़

राज्य शासन के द्वारा विधिमान्य समाज सेवी संस्थाओं के चयन के लिए अर्हताएं तय किया है। लेकिन डीपीओ आईसीडीएस ने इसमें भी छेड़खानी किया है। एनजीओ के तीन वर्षों के वित्तीय स्थिति औसतन टर्न ओवर 75 लाख से अधिक में 15 अंक एवं 41 से 75 लाख पर 10 अंक तथा 21 से 40 लाख तक होने पर 5 अंक देने का मापदण्ड तय किया है। वही राज्य सरकार के दिशा निर्देश के विपरित सिंगरौली जिले का पंजीयन 20 अंक। जिले के अतिरिक्त प्रदेश के किसी जिले का पंजीयन पर 10 अंक एवं प्रदेश से बाहर पर 5 अंक उल्लेख किया है। वही एनजीओ के मान्यता/पंजीकरण में भी व्यापक फेरबदल किया है। उक्त अर्हता के मापदण्डों के फेरबदल को लेकर कई कारण गिनाएं जा रहे हैं।

कलेक्टर तक पहुंची डीपीओ की शिकायत

वन स्टाफ सेन्टर में एनजीओ की चयन संबधित अर्हता मापदण्ड में डीपीओ के द्वारा अपने हिसाब से अर्हता में संसोधन किये जाने का मामला जब सामने आया तो इसकी शिकायत कलेक्टर तक पहुंच गई। चर्चा है कि डीपीओ आईसीडीएस ने कलेक्टर को अंधेरे में रखकर 23 जुलाई को संसोधित विज्ञप्ति जारी कर दिया। जबकि सूत्रों की बात माने तो राज्य सरकार के द्वारा ऐसा कोई संसोधन आदेश जारी नही किया था। अपने चहेते तो लाभ दिलाने के लिए डीपीओ ने यह खेला किया था। हालांकि डीपीओ के काले कारनामे एक नही अनेक हैं। करोड़ रूपये के सामग्री के मामले की शिकायत ईओडब्ल्यू तक पहुंची है। लेकिन जिले एंव भोपाल के कु छ अधिकारी इन पर मेहरवान हंै।

इनका कहना:-

संसोधित विज्ञप्ति को निरस्त कर दिया है। पुन: जारी करेंगे।

राजेशराम गुप्ता

जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास सिंगरौली

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