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प्रभारी प्राचार्य मुमताज आजाद, ने कर्मचारी को कहा भाड़ में जाए, डीडीओ फालतू का लफड़ा पाला मैने

रिपोर्ट नरेंद्र कुमार परमार

महावीर महाविद्यालय पेटलावद में एक ओर जहां शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टाफ पहले से कम है ओर जो कर्मचारी कार्य कर रहे है, उनके द्वारा डीडीओ पावर अपडेट करवाए जाने की बात करने पर प्रभारी प्राचार्य मुमताज आजाद द्वारा कहा की भाड़ मे जाय डीडीओ मैने तो फालतू का लफड़ा पाला है, यह शब्द है प्रभारी प्राचार्य मुमताज आजाद के हे।

पूर्व प्रभारी प्राचार्य डॉ. कांतू डामोर के जब से भ्रष्टाचार और अवैध उत्खनन के समाचार प्रकाशित हुए, तब से डामोर मेडिकल अवकाश पर चले गए, लेकिन अपने हिसाब से प्रभारी प्राचार्य का प्रभार सौप गए, ताकि शासन की ओर से किसी प्रकार की जांच या कोई कार्यवाही आगे न बढ़े, और सब मामला उनके द्वारा प्रस्तावित और नियुक्त प्रभारी प्राचार्य द्वारा दबा दिया जाय। जब सब मामला शांत हो जाएगा, ठंडा हो जाएगा, फिर आकर वापिस चार्ज ले लेगे। प्रभारी प्राचार्य के प्रभार को बात की जाय तो नियम अनुसार वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. सुनील मोरे को प्रभार दिया जाना था जो 1989 की प्रथम नियुक्ति के है लेकिन भ्रष्टाचार को पलीता लगाने के लिए अपने से कनिष्ठ सहायक प्राध्यापक को प्रभारी प्राचार्य नियुक्त कर दिया जो की नियम विरुद्ध है।

*जब स्टाफ को वेतन नहीं मिल रहा, तो विद्यार्थियों को क्या शासन की योजनाओं लाभ मिल रहा होगा*

शासन के नियम अनुसार शासकीय कर्मचारी को महीने की प्रत्येक 01 से 02 तारीख के बीच कर्मचारियों का वेतन हो जाना चाहिए, किंतु महावीर महाविद्यालय के कर्मचारियों को आज दिनाक 04.08.2024 तक वेतन नहीं मिला और 05 तारीख तक हो जाय ऐसी व्यवस्था नही है, जिसका कारण कर्तव्य के प्रति उदासीनता। महावीर महाविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या तकरीबन 4000 है, महाविद्यालय में अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से विद्यार्थी पढ़ने आते है, जब प्रभारी प्राचार्य द्वारा ही ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाएगा तो महाविद्यालय के विद्यार्थियों का क्या होगा। उन्हें योजनाओं का लाभ कैसे मिलेगा। अतिरिक्त संचालक इंदौर के आदेश क्रमांक 1647/अति.संचा./2024/शा_3/2024 दिनाक़ 10.7.2024 के अनुसार मुमताज आजाद को प्रभारी प्राचार्य का प्रभार मिला था प्रभारी प्राचार्य और डीडीओ पावर अपडेट करवाया जाना था, लेकिन आदेश मिलने के 22 दिन बीत जाने के बाद भी आज दिनाक तक अपना डीडीओ पावर अपडेट नही करवाना, कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही और शासन के आदेश की अवेहलना को दर्शाता है, ऐसे में रक्षाबंधन जैसे त्योहार के समय अगर समय पर वेतन नहीं मिला तो महाविद्यालय में छोटे कर्मचारी को परेशानी और तकलीफों का सामना त्योहारों के समय करना पड़ेगा।

*काम में रुचि नहीं तो क्यों लिया प्रभारी प्राचार्य का प्रभार*

क्या हुआ कैसे हुआ, यह सब बात की बात किंतु प्रभारी प्राचार्य का प्रभार बहुत महत्वपूर्ण है, पूरे महाविद्यालय स्टाफ और पढ़ने वाले विद्यार्थियों की जवाबदारी रहती है, ऐसे में भाड़ में जाए डीडीओ जैसे शब्द कही न कही कर्तव्य के प्रति लापरवाही, कर्तव्य के प्रति उदासीनता और वरिष्ठ कार्यालय के आदेश का उलंघन दर्शाता है, अब ऐसे में यदि काम करने में मैडम को रुचि नहीं थी तो नही लेना था प्रभारी प्राचार्य का प्रभार, अतिरिक्त संचालक को वरिष्ठता के आधार पर देना था।

*नियमो के विरुद्ध कैसे प्रभारी प्राचार्य का चार्ज*

जब शासन द्वारा नियम बनाए गए की किसी भी संस्था या महाविद्यालय में जो वरिष्ठ होगा उसे प्रभारी प्राचार्य नियुक्त किया जायेगा लेकिन महावीर महाविद्यालय में उसका उल्टा हो रहा, डॉ. कांतू डामोर, सहायक प्राध्यापक है जिनकी प्रथम नियुक्ति 2011 की है वही वर्तमान में जिन्हे चार्ज दिया मुमताज आजाद, सहायक प्राध्यापक है उनकी प्रथम नियुक्ति 2019 की है, जबकि महाविद्यालय में समान सामर्थ्य पर स्थानांतरित होकर आए डॉ.सुनील मोरे, जो प्राध्यापक भी है, उनकी प्रथम नियुक्ति 1989 की है और पूर्व में जहा से स्थानांतरित होकर आए वहा भी प्राचार्य थे, उनके आदेश में स्पष्ट लिखा समान सामर्थ्य फिर भी मोरे को प्रभार न देते हुए कनिष्ठ को कैसे मिल गया।

*अव्यवस्था का अंबार, सीसीटीवी कैमरे भी बंद, पशु बैठते भवन के मुख्य द्वार पर*

महाविद्यालय में अव्यवस्था का इतना अंबार है की यहा न तो समय पर कार्यालय खुलता, न ही समय पर पढ़ाई होती, परीक्षाओं के समय नकल रोकने हेतु कैमरे लगाए, लेकिन वो भी बंद पड़े, पुराने भवन के पंखे भी बंद पड़े, नवीन विज्ञान भवन की छते भी जवाब दे रही हे, पशुओं का जमघट महाविद्यालय भवन के मुख्य द्वार पर लगा रहता है। प्राचार्य कक्ष में ही 2 एसी लगा रखे, जो चालू है ऐसे में विद्यार्थियों की कोई चिंता नहीं।

*विद्यार्थियों की चिंता नहीं अपने ठाठ बरकरार रहना चाहिए*

वैसे तो अव्यवस्था की कई खबरों का प्रकाशन समाचार पत्रों में हुआ, लेकिन इन अव्यवस्था को अभी तक ठीक नहीं कर पाई प्रभारी प्राचार्य, जब बात व्यवथा की आती है तो मैडम जी कहते है*मेरे पास कोई जादू की छड़ी नहीं जो ठीक कर दू,।

*जनभागीदारी अध्यक्ष के तेवर भी फीके पड़े*

महावीर महाविद्यालय के जनभागीदारी अध्यक्ष विपिन शर्मा जी जो शुरू शुरू में अपने तीखे तेवर और अध्यक्ष पद के प्रति समर्पित दिखाई दिए थे उनके भी तेवर फीके दिखाई दिए, महाविद्यालय की ओर कोई ध्यान नहीं आ रहा, लगातार खबरों का प्रकाशन हुआ, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रोनिक मीडिया सभी के माध्यम से खबरे सब के पास पहुंची लेकिन अभी तक अध्यक्ष द्वारा भी किसी प्रकार की कोई कार्यवाही लिखित रूप में उच्च शिक्षा विभाग में नही की गई।

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