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लापरवाही से फूटा मुरैना का टोंगा तालाब… एस डी ओ ने जून को पत्र लिखकर बताई मेंटेनेंस की जरूरत,

रिपोर्टर – महेंद्र सिंह लहरिया

सबलगढ़ क्षेत्र के टोंगा गांव का सवा सदी पुराना तालाब सोमवार-मंगलवार की रात फूट गया। इस तालाब के फूूटने के कारणों की जांच हो रही है। इसी बीच यह बात सामने आई है कि सिंचाई विभाग के SDP ने बारिश से पहले ही टोंगा तालाब की पाल को नाजुक और उसकी मरम्मत की मांग की थी, लेकिन सबलगढ़ ईई कार्यालय में एसडीओ के इस पत्र को दबा दिया गया। दूसरी ओर सिंचाई विभाग के अफसर तालाब की पार फोड़ने का आरोप उन अतिक्रामकों पर लगा रहे हैं, जिन्होंने जमीन पर कब्जा कर खेत बना लिए हैं। टोंगा तालाब के फूटने के कारणाें की जांच होना जब जरूरी हो गया है।

सोमवार रात को फूटा था तालाब

गौरतलब है कि सबलगढ़ से 3 किलोमीटर दूर स्थित टोंगा गांव का तालाब सोमवार की रात फूट गया था। सुबह होते-होते तालाब की दीवार 18 फीट तक बह गई थी। तालाब का पानी आसपास के 6 गांवों के आबादी क्षेत्र से लेकर सबलगढ़ कस्बे की आधा दर्जन से ज्यादा बस्तियों में भर गया। यह तालाब 1904 में बना था और सालों से इसकी सफाई और मरम्मत नहीं हुई।

तालाब की खस्ता हालत को देखते हुए 21 जून को (बारिश से पहले) सिंचाई विभाग के तात्कालीन एसडीओ व टोंगा तालाब के प्रभारी श्रीधर अटेरिया ने कार्यपालन यंत्री सबलगढ़ डीके रत्नाकर को पत्र लिखा, जिसमें तालाब की पार की मरम्मत करवाने से लेकर साफ-सफाई के लिए मजदूरों की मांग की थी, लेकिन एसडीओ के इस पत्र को ईई कार्यालय ने कतई गंभीरता से नहीं लिया।

सिंचाई विभाग के एसई आरके वर्मा ने बताया कि 21 जून को एसडीओ ने ऐसा कोई पत्र टोंगा तालाब के लिए लिखा है, इसकी जानकारी सबलगढ़ एसई कार्यालय से उन्हें नहीं दी गई। अगर एसडीओ ने मरम्मत की जरूरत बताई थी, तो उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए था।

ईई की रिपोर्ट में फसलों को नुकसान नहीं

सिंचाई विभाग के ईई डीके रत्नाकर ने शासन को जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें लिखा है कि तालाब का पानी किसी भी आबादी क्षेत्र में नहीं गया। पानी से फसल, जनहानि या पशुहानि नहीं हुई है, जबकि हकीकत यह है कि टोंगा, कुतघान, देवपुर, बुद् का पुरा, बेरई, रानीपुरा, पहाड़ी, इटवा रामपुर, कुल्होली, कटाहर, सुनेहरा आदि गांव के खेतों में एक से ढाई फीट तक पानी भरा है।

सबलगढ़ की गौड़ कॉलोनी, रेलवे ट्रैक किनारे के 5 मकान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। तालाब फूटने से हुए नुकसान का सर्वे और पीड़ितों को मुआवजा दिलाने की मांग लेकर बुधवार को ब्लाक कांग्रेस कमेटी, सबलगढ़ ने कलेक्टर अंकित अस्थाना को ज्ञापन सौंपा।

इस दौरान जौरा विधायक पंकज उपाध्याय, सुमावली के पूर्व विधायक नीटू सिकरवार, सबलगढ़ के पूर्व विधायक बैजनाथ कुशवाह, कांग्रेस शहर अध्यक्ष दीपक शर्मा आदि मौजूद थे। कलेक्टर ने भी तालाब फूटने से खेतों फसलों के नुकसान की बात मानी है और कहा, कि भी भी पानी भरा है। यह कम होने के बाद फसलों में हुए नुकसान का स्पष्ट पता लग सकेगा।

अतिक्रामकों ने तो नहीं फोड़ी पार, हो रही जांच

सिंचाई विभाग और सबलगढ़ जिला प्रशासन के स्थानीय अफसरों को संदेह है कि टोंगा गांव के कुछ असमाजिक तत्वों ने तालाब की दीवार में छेद किया था। इसके पीछे का कारण यह माना जा रहा है कि तालाब के कैचमेंट एरिया में सैकड़ों बीघा जमीन है, जिस पर कई प्रभावशाली व दबंग प्रवृत्ति के लोगों का कब्जा है।

तालाब की इस जमीन पर कब्जा कर खेती हो रही है। इस बार तालाब फुल भरा तो पानी कैचमेंट एरिया तक में भराव होने लगा, इस पानी को निकालने के लिए तालाब की पार में छेद किया गया। सिंचाई विभाग के ईई रत्नाकर ने इस संबंध में बताया, कि सोमवार की रात में जब तालाब पर मैं और सबलगढ़ एसडीएम वीके कटारे थे, तभी कुछ ग्रामीणाें ने कहा, कि तालाब की पार को कुछ लोगों ने जानबूझकर फोड़ा है। ईई ने बताया, कि इस बारे में भी जांच चल रही है।

*एसडीओ अटेरिया ने 21 जून को पत्र तो लिखा था, लेकिन उसमें 9 चौकीदारों की मांग की थी, इतने से हमारे पास कुल चौकीदार भी नहीं हैं। पत्र में मेंटेनेंस की बात नहीं लिखी थी। तालाब फूटने के बाद फसलों को काेई नुकसान नहीं हुआ, कहीं पानी नहीं भरा। – डीके रत्नाकर, ईई, सिंचाई विभाग सबलगढ़

*तालाब फूटने के बाद पानी कुछ गांव के खेतों में भरा है। वहां पानी अभी भी भरा है। जलभराव से फसलाें को कितना नुकसान हुआ है, इसका सही पता खेतों से पानी कम हो जाने के बाद ही पता चल सकेगा। – अंकित अस्थाना, कलेक्टर, मुरैना*

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