बागली जटाशंकर में वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ श्रावणी मास का समापन हुआ

रिपोर्ट विपिन विश्वकर्मा
बागली से 3 किलो मीटर दूर स्थित जटाशंकर तीर्थ स्थल पर प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी श्रावणी मास में चल रही शिवलिंग पूजन का आज समापन हुआ समापन में पंडित कनिष्क द्विवेदी व अपने बटुक द्वारा मंत्र उच्चारण कर पूजन करवाया गया व अनेकों प्रकार से स्नान किया गया कहा जाता है की श्रावणी उपाकर्म का दिन यज्ञोपवीत धारण करने वालों के लिए वर्ष का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व होता है इस दिन व्रत करना, नदी स्नान जिसे हेमाद्रि स्नान संकल्प लेकर गुरु के सान्निध्य में ब्रह्मचारी गोदुग्ध, दही, घृत, गोबर, हल्दी , पंचकाव्य और गोमूत्र तथा पवित्र कुशा आदी दसविधि स्नान कर वर्षभर में जाने-अनजाने में हुए पापकर्मों का प्रायश्चित्त किया जाता है स्नान के पश्चात तर्पण , सूर्य प्रस्थान, मध्यान्ह संध्या कर , ऋषि पूजन के बाद यज्ञोपवीत पूजन कर यज्ञोपवीत धारण किया जाता है तत्पश्चात तप हवन करके गुरु पूजन के बाद दान देने का अत्याधिक महत्व इस दिन का होता है इस दिन का महत्व इसलिए भी अत्यधिक बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन प्रत्येक व्यक्ति यह संकल्प लेता है की पातकों, उपपातकों और महापातकों से वह बचेगा परद्रव्य अपहरण न करेगा, परनिंदा न करेगा आहार-विहार का ध्यान रखेगा, हिंसा न करेगा, इंद्रियों का संयम करेगा एवं सदाचरण करेगा इस प्रकार संकल्प के रूप में प्रतिज्ञा ली जाती है इतनी महान और अद्भुत परंपरा हमारे सनातन धर्म के अलावा किसी और जगह नहीं मिल सकती 1008 केशव दास जी फलारी बाबा के सानिध्य में फलियारी खिचड़ी का वितरण भी किया गया यह कार्यक्रम सावन मास में एक माह तक चलता है हर सोमवार को यहां पर खिचड़ी का वितरण भी किया जाता है कहा जाता है कि यहां पर जटायु ने तपस्या की थी यहां पर भोलेनाथ जी के गोमुख की जलधारा 12 महीने लगातार बहती है दूर दूर श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं सावन मास के आखिरी सोमवार को शाही सवारी के रूप में भोलेनाथ जी नगर भ्रमण करते हैं अंत में महा आरती के पश्चात प्रसादी का वितरण किया जाता है