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परंपरा और आस्था का प्रतीक सिंधी समाज की शीतला सप्तमी थदड़ी पर्व 25 को।

रिपोर्टर,अजय चन्द्रे

खंडवा। सभी धर्मों के कुछ विशेष त्यौहार एवं पर्व होते हैं, जिन्हें संबंधित समुदाय मनाता है। ऐसा ही सिंधी समाज का एक प्रमुख त्यौहार समाजजनों द्वारा प्रतिवर्ष श्रावण मास कृष्ण पक्ष की सप्तमी के दिन रक्षाबंधन के सातवें दिन रविवार 25 अगस्त को थदड़ी पर्व (सतहें) के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन सिंधी समुदाय पूर्व संध्या पर बनाया गया भोजन ग्रहण करेंगे। जिसे दैवीय प्रकोप से जोड़कर देखा जाता है। यह जानकारी देते हुए राष्ट्रीय सिंधी समाज प्रदेश प्रवक्ता निर्मल मंगवानी ने बताया कि थदड़ी का हिंदी अर्थ है शीतल। रक्षाबंधन के आठवें दिन थदड़ी पर्व को शीतला सप्तमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन सम्पूर्ण विश्व में निवासरत जल और ज्योति के उपासक सिंधी समुदाय पूर्व संध्या पर बनाया गया भोजन ग्रहण करते हैं। यह सत्य है कि समय-समय पर मनाये जाने वाले धार्मिक तीज त्योहारों से ही हम अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं एवं सामाजिकता भी कायम रहती है। पुरातन काल में सिंधु घाटी में मोहनजोदड़ो की खुदाई के दौरान अनेक वस्तुओं के साथ ही शीतला माता की मूर्ति भी प्राप्त हुई थी, इससे यह सिद्ध होता है कि आदि काल से ही माता शीतला की पूजा-अर्चना समाज द्वारा होती रही है। थदड़ी सिन्धु सभ्यता और संस्कृति का प्रमुख पर्व है, इस दिन समाज के लोग पूर्व संध्या पर बनाये गये ठंडे व्यंजन ही खाएंगे। श्यामधाम के पं. श्याम शर्मा ने पर्व के महत्व का बखान करते हुए बताया कि आदिकाल से ही प्राकृतिक आपदाओं में समुद्री तूफान को जल देवता के प्रकोप, सूखाग्रस्त क्षेत्रों में इंद्र देवता की नाराजगी मानी जाती है, इसी तरह जब किसी व्यक्ति को माता (चेचक) निकलती है तो उसे देवी के प्रकोप से जोड़ा जाता है। आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि माता (चेचक) के इंजेक्शन बचपन में ही लग जाते हैं। परंतु देवीय शक्ति से जुड़ा थदड़ी पर्व हजारों वर्षों पश्चात भी समाज का प्रमुख त्यौहार माना जाकर पूर्ण आस्था और विश्वास से मनाया जाता है। इस मौके पर 25 अगस्त को श्यामधाम में प्रातः 8 से 12 बजे तक पूजन सम्पन्न होगा। इस दिन प्रातः काल समाज की महिलाओं व्दारा ब्राह्मण के घर जाकर शीतला माता की पूजा अर्चना के दौरान माताजी को इन पंक्तियों से प्रसन्न किया जाता है, ठार माता ठार पहिंजे बचड़न खे ठार, माता अगे भी ठारियो थई हाडे भी ठार….। पूजन पश्चात घर आकर परिवार सहित भोजन ग्रहण करती है। श्री मंगवानी ने यह भी बताया कि इस दिन पूर्व संध्या पर विभिन्न तरह के सिंधी व्यंजन जैसे मिठी और बेसणजी कोकी, गच्च, पकौड़ा, आलू भिंडी की सब्जी एवं दही, छाछ, दही रायता जैसे सूखी सब्जियां बनाया जा कर थदड़ी के दिन पूर्ण श्रद्धा के साथ माता को अपने प्रकोप से बचाने की कामना के साथ ग्रहण किया जाता है।

*चित्र-पर्व पर समाजजनों व्दारा बनाये जाने वाली प्रसादी के रूप में गच्च, कोकी, अन्य भोजन सामग्री।*

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