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आज हुए बच्चों के राजा गजानंद गणपति,बोले अगले बरस फिर जल्दी आना

जावरा. मिनाखेड़ा गांव मे जहाँ बच्चों ने समिति बनाकर गजानंद गणपति जी की मूर्ति की स्थापना करी ओर शाम सुबह अपने हिसाब् से पूजन आरती कर पूरे नगर के लिए सुख ओर समृदी की कामना करी । बड़े तो इसमें शामिल नही हुए पर छोटो ने गणेश चतुर्थी का पुरा मान रखा आगे आराध्य देव गणेश जी इनका भविष्य भी खुशियों से उज्वल कर देंगे।
विसर्जन के एक दिन पहले बच्चो का उत्साह बढ़ाने के ग्राम सरपंच प्रतिनिधि अनुज लाल बरोड़ पहुँचे जहा सभी समिति के सदस्यों ने मिलकर श्री बरोड़ का स्वागत किया ओर बाद मे सरपंच बरोड़ ने सभी बच्चों का सम्मान करा ओर उनका उत्साह वर्धन किया फिर उनके द्वारा आरती मे सम्मिलित होकर पुण्य का लाभ लिया।

गाँव खेड़ाखेड़ी मे बिराजे सभी के मन के राजा गजानंद गणपति जी रात को आरती मे 51 दीपो की आरती ओर गणपति जी को 56 भोग लगाकर मंगल की कामना करी श्री सिद्ध विनायक विनायक मित्र मंडल के द्वारा भव्य सुंदरकांड का आयोजन करा।इसमे होने वाले लाइट ओर साउंड भक्तो के आकर्षण का केंद्र रहा।ओर अगले दिन उनको कहते हुए जोर से बोले गणपति बप्पा मोर्या, अगले बरस तू जल्दी आ के जयघोष के साथ बिदा किये आज सुबह से श्रीगणेश के विसर्जन का सिलसिला शुरू हुआ। भक्तों ने नमः आंखों से बप्पा को विदाई दी।आज सुबह से घर-घर में सपरिवार और पंडालों में भक्तों ने बप्पा की अंतिम आरती की। जैसे ही बप्पा की प्रतिमा को स्थापना स्थल से विसर्जन के लिए उठाया गया, परिजनों और भक्तों की आंखें नम हो गई। दस दिनों तक बप्पा के आगमन की खुशियां घर-परिवार में छाई हुई थीं। उनके विदा होते ही वीरानी छाने लगी थी। आज सुबह से शुरू हुआ ‘विसर्जन का सिलसिला रात तक जारी रहेगा। शहरवासियों ने बड़ी संख्या में अपनी प्रतिमाओं का विसर्जन निगम द्वारा बनाए गए अस्थायी जल कुंडों में किया। वहीं सार्वजनिक गणेश समितियों ने पंडालों से चल समारोह निकालकर बप्पा को नर्मदा और शिप्रा में विसर्जन के लिए रवाना किया। शोभायात्रा में अबीर-गुलाल के साथ बप्पा मोर्या… की धुन पर गणेशभक्त जमकर थिरके।

इसलिए किया जाता है बप्पा का विसर्जन

शास्त्रों के अनुसार गणपति जल तत्व के अधिपति हैं। गणेशजी ने 10 दिन तक बिना रुके महाभारत काव्य लिखा था। इसके कारण गणपति के शरीर का तापमान बहुत बढ़ गया। वेदव्यासजी ने उन्हें शीतल करने के लिए जल में डुबो दिया, जिससे उन्हें ठंडक मिली। धर्मग्रंथों के अनुसार गणेश उत्सव के 10वें ही दिन बप्पा को विदाई दी जाती है।

रिपोर्ट – राहुल चौहान

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