अपनी आत्मा को उज्जवल व पवित्र बनाने का महान पर्व है – पर्युषण पर्व
रिपोर्टर दर्पण पालीवाल
राजस्थान,नाथद्वारा। तेरापंथ भवन नाथद्धारा में जैन धर्म के प्रमुख पर्व प्रदूषण पर्व प्रारंभ हुआ। अध्यात्म के इस महायज्ञ में लाखों – लाखों लोग आत्मा पर आए हुए कर्मों के आवरण को दूर करने हेतु चेतना पर जमे हुए मल को दूर करने के लिए 8 दिन में ज्यादा से ज्यादा धर्म आराधना, संयम की साधना व तप की आराधना करते हैं। पर्यूषण पर्व का प्रथम दिन खाद्य संयम दिवस के रूप में मनाया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत साध्वी श्री जी ने नमस्कार महामंत्र के मंगल उच्चारण से की। पर्यूषण पर्व का महत्व बताते हुए साध्वी श्री जी ने कहा भारतीय संस्कृति में अनेक पर्वों की परंपरा चली आ रही है। भौतिक पर्व होली ,दिवाली रक्षाबंधन, दशहरा आदि आदि। जिन्हें बड़े चमक -धमक से मनाया जाता है। जैन धर्म का पर्युषण पर्व अध्यात्म संस्कृत के अनेक उज्जवल पृष्ठों को खोलता है। इस पर्व के दौरान 8 ही दिन सामयिक ,स्वाध्याय ,जप, तप आदि अध्यात्म परक अनुष्ठानों के साथ हर दिवस मनाया जाता है। इस पर्व का लक्ष्य ही है कि अपनी चेतना में ज्यादा से ज्यादा रमन करना, आवश्यक आवेग पर नियंत्रण करना ,इंद्रिय संयम करना, भौतिकता से अध्यात्म की ओर प्रस्थान करना आदि आदि। खाद्य संयम दिवस पर साध्वी श्री जी ने कहा – प्रत्येक प्राणी को जीवन चलाने के लिए आहार ,भोजन की आवश्यकता रहती है। इसके बिना प्राणी लंबे समय तक जी नहीं सकता। भोजन कितना, क्या, क्यों करना इसका सभी को बोध होना चाहिए। व्यक्ति को हमेशा अखाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। जिस पदार्थ से तन ,मन, भाव स्वस्थ रहे ऐसे पदार्थ को खाना चाहिए। साधक अपनी साधना को पवित्र व निर्मल बनाने के लिए सबसे पहले “खाद्य संयम” करें। आसक्ती व लोलुपता से भोजन न करें। इस प्रकार खाद्य संयम की महत्वता को समझ कर अपन जीवन मस्त, स्वस्थ व समाधिस्थत बनाए। साध्वी वृंद ने एक सुमधुर गीत का संगान किया। इस अवसर पर साध्वी इंदु प्रभा ने खाद्य संयम पर अपने विचार व्यक्त किए। साध्वी मानस प्रभा ने एक सु मधुर एवं प्रेरक गीत का संगान किया। साध्वी श्री जी ने 8 दिन में ज्यादा से ज्यादा तप, जप, स्वाध्याय, ज्ञान आदि साधना करने की प्रबल प्रेरणा दी। तेरापंथ महिला मंडल ने भी एक सामूहिक गीत प्रस्तुत किया। मंगल पाठ से कार्यक्रम सानंद संपन्न हुआ।