सोमवार को मनाया पोला पर्व घर-घर हुईपशुधन की पूजा।
रिपोर्टर – के काशिनाथ भंडारी
खेतीया। किसानों का सबसे बड़ा और पारंपरिक पोला पर्व सोमवार को शहर में मनाया गया । शहर में सोमवार को मनाए जाने वाले पोला पर्व से एक दिन पूर्व रविवार को बाजार में मिट्टी और काठ से बनाए गए बैलों की जोड़ियों और पूजन सामग्री को खरीदने वाले की भीड़ रही। पोला पर्व किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह पर्व विशेष रूप से किसानों और उनके सबसे महत्वपूर्ण साथी, बैलों को समर्पित है। इस दिन बैलों की पूजा की जाती है।
पोला के दिन किसान अपने बैलों से कोई काम नहीं लेते और इनके गले की रस्सी भी निकाल देते हैं। किसान अपने बैलों की तेल से खूब मालिश करते हैं। ताकि उसके बैल सुंदर नजर आ सकें। बाद में इन बैलों को नहलाकर रंग-बिरंगे कपड़ों से सजाया जाता है। बैलों को आभूषण भी पहनाया जाता है। और ढोल ताशे बजाकर हनुमान मंदिर तथा माता मंदिर के पाच पाच फेरी लगाकर शहर मे ठाठ-बाट से भम्रण करते है। पोला पर्व मनाने वाले किसान, पशुधन को भोग लगाने के लिए अपने घरों में विशेष तरह के पकवान बनाते हैं जिसमे पुरन पोली मीठी रोटी अवश्य शामील होती हे , खेत के रखवाले मजदुर को खेत मालीक नये कपडे लेता हे ! नगर मे अधिकांश किसान होने से उक्त पर्व बडे धुमधाम व गाजेबाजे ढोल तासे बजाकर मनाया जाता है