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विकास का वादा कर रही बीजेपी सरकार पर फिर प्रश्न चिन्ह, डोले में ले गए आदिवासी महिला का शव

रिपोर्ट। गजेन्द्र सिंह

*आजादी के 77 वर्ष बाद भी मूलभूत सुविधाओं को तरसते मध्य प्रदेश के लोग*

दरअसल हम तो 55 सालों के विकास का रोना रोते हैं।लेकिन 20 सालों से मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार और इन 20 सालों में आदिवासियों के नाम पर राजनीति करने वाली पार्टी आदिवासियों के हित में कितना काम करती है, इन तस्वीरों से साफ नजर आता है हम आपको बता दे यह मामला पवई विधानसभा क्षेत्र का है।

दरअसल पन्ना जिले के शाहनगर तहसील की ग्राम पंचायत महिंगवा बारहो के ग्राम महगांव की रहने वाली एक आदिवासी महिला मीना बाई पति सोने सिंह उम्र 40 वर्ष को सर्प ने काट लिया था।जिसके बाद महिला के परिजन कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर मैहर के अमदरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इसी डोले के सहारे लेकर पहुचे थे। बता दें कि महिंगवा बारहों को अमदरा से जोड़ने का कोई सड़क मार्ग नहीं है।जिसके कारण वहां तक नजदीकी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पातीं। यही वजह रही कि सर्पदंश की शिकार हुई महिला ने रास्ते मे दम तोड दिया। अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टर ने भी परीक्षण उपरांत महिला को मृत घोषित कर दिया।घटना के बाद जो हुआ उसने प्रदेश सरकार के बड़े बड़े दावों को मिट्टी में मिला दिया। जब परिजन शव घर ले जाने की दरकार करने लगे तो कोई भी एम्बुलेंस जाने को तैयार नही हुआ। घण्टो तक इंतजार करने के बाद फिर परिजन डंडे में चद्दर बांधकर डोले के सहारे शव को घर लेकर गए। जिसका वीडियो भी सामने आया है। ये मामला न सिर्फ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्थानीय सांसद बल्कि भाजपा सरकार पर भी सवाल खड़े कर रहा हैं।

स्थानीय लोगो ने बताया की पन्ना जिले के शाहनगर के महगांव से अमदरा महज 5 किलोमीटर की दूरी पर है। और तहसील शाहनगर 60 किलोमीटर दूर है। वही मुख्यालय जाने के लिए 120 किलोमीटर का सफर तय करना होता है। मगर पहाड़ी अंचल में बसे इस इस आदिवासी बाहुल्य गांव महगांव में वर्षो से मांग करने के बाद भी सड़क निर्माण न होने के वजह से वाहनों के आवागमन का कोई रास्ता नही है। जिस वजह से कटनी घूमकर जाने में घंटो का सफर तय करना पड़ता है यही कारण था कि पीड़ित महिला को कोई एम्बुलेंस नसीब नही हो सकी और हमेशा से ही इस गाँव के लोग स्वास्थ्य जैसे सुविधाओं का लाभ ले पाने में छोटे रह जाते हैं। वही 15 किलोमीटर की दूरी पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कल्दा स्थित है। परन्तु स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते वहां एक भी डॉक्टर उपलव्ध नहीं हैं। जों डॉक्टर पदस्थ है, वह पवई मे रहकर सेवाएं दे रहे हैं। क्षेत्र में डॉक्टर की कमी को लेकर विगत दिनों मीडिया द्वारा खबरें प्रकाशित की गईं। परन्तु स्वास्थ्य विभाग एवं जनप्रतिनिधियों पर कोई असर नहीं हुआ। जिसका परिणाम आज देखने को मिला। अगर नेता जनता की चौखट जाते तो उनकी दरकार भी सुनाई देती। आज भारत चांद तक पहुंच गया,लेकिन एमपी में हालात आज भी बद से बदतर हैं,सामने आई तस्वीरों से अंदाजा लगाया जा सकता है।

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