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वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के समर्थन में जन-जागरण

रिपोर्टर::नरेश रायक

बडवानी :- जागृत हिंदू मंच के तत्वावधान में नगर के झंडा चौक में वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 के संबंध में जन-जागरण एवम हस्ताक्षर अभियान संपन्न हुआ, कार्यक्रम का आयोजन संयुक्त समिति के द्वारा आम नागरिकों से लिए जाने वाले सुझावों के संबंध में नागरिकों में जागृति लाने के लिए किया गया। वक्ताओं में सर्वश्री महेश जोशी, विक्रम चौहान, सचिन पुरोहित बंटी, विजय यादव, अंजना पटेल अंजड़,विजय कलोशिया एवम आशीष मेहरा ने एक स्वर में वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 को संसद पारित करने पर जोर दिया। उन्होंने विस्तारपूर्वक दिल्ली सल्तनत के समय से वक्फ की अवधारणा चली आ रही है, सन् 1923 में अंग्रेजों ने मुसलमान वक्फ अधिनियम को विनियमित करने का प्रयास किया, आजादी के बाद सन् 1954 में वक्फ अधिनियम प्रथम बार भारत की संसद में तत्कालीन केंद्र सरकार के द्वारा पारित किया गया था, सन् 1995 में इसे नए वक्फ अधिनियम को नई शक्तियां प्रदान की गई, जिसके बाद शासकीय सहित अन्य निजी संपत्तियों पर अवैध कब्जा करने और अपने आधिपत्य में लेने के आरोप वक्फ बोर्ड पर लगने लगे। इसके बाद वर्ष 2013 में वक्फ अधिनियम में केंद्र सरकार ने संशोधन कर असीमित शक्तियां वक्फ बोर्ड को प्रदान कर दी, जिसके कारण मात्र 11 वर्ष की अवधि में वर्ष 2024 की स्थिति में वक्फ संपत्ति 9 लाख 40 हजार एकड़ में फैली 8 लाख 70 हजार संपत्तियों का मालिक बन बैठा, जिसमे बड़ी मात्रा में निजी एवम शासकीय संपत्तियां शामिल है, वक्फ का अर्थ अल्लाह को दान है, पूर्व में निसंतान मुस्लिम एवम आजादी के बाद भारत छोड़कर पाकिस्तान गए मुस्लिमों की संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया, इस संपत्ति को कोई भी बेच या खरीद नहीं सकता। इस कारण से भारत के तमिलनाडु, बिहार, नई दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों में बिना किसी दस्तावेज के निजी एवम शासकीय संपत्ति वक्फ की घोषित कर दी गई, गांव के गांव वक्फ संपत्ति घोषित हो गई, आगरा स्थित ताजमहल को भी वक्फ संपत्ति घोषित करने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में याचिका लगा दी गई थी, जिसमे सबूत मांगने पर मुस्लिम पक्ष न्यायालय में नहीं पहुंचा, ये मामला अभी भी विचाराधीन है। 11 वर्ष की अल्पावधि में सीधे दोगुनी संपति वक्फ की हो गई। इन घोषित संपत्तियों के वास्तविक मालिकों के द्वारा अपील करने का प्रयास किया गया, किंतु वक्फ बोर्ड को प्रदत्त शक्तियों के अनुसार वक्फ प्राधिकरण में ही इसकी सुनवाई होती है, जिसमे वक्फ के पक्ष में निर्णय किया जाता है। इन समस्त परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान केंद्र सरकार वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 को संसद के दोनो सदनों में प्रस्तुत किया, जहां बहुमत के अभाव में संयुक्त संसदीय समिति को विचार करने के लिए विधेयक को सौंपा गया, समिति लगातार बैठक कर रही है एवम ऑफलाइन व ऑनलाइन माध्यम से नागरिकों से सुझाव मांग रही है, जिसकी अंतिम तिथि 14 सितंबर 2024 है,

जागृत हिंदू मंच एवम वक्ताओं ने अधिकाधिक संख्या में अपने सुझाव संसदीय समिति को भेजने का निवेदन किया एवम 1000 नागरिकों के हस्ताक्षर भी करवाकर भेजे जा रहे है।

इस कार्यक्रम में बढ़ी संख्या नागरिकगण एवम मातृशक्ति उपस्थित रही, जिन्होंने स्वयं भी एवम दूसरे नागरिकों से सुझाव अधिकाधिक संख्या में भेजने का संकल्प लिया। कार्यक्रम का संचालन संरक्षक राजेश राठौड़ एवम आभार प्रदर्शन अध्यक्ष कृष्णा गोले ने किया। उक्त जानकारी सचिव दीपक जैमन, उपाध्यक्ष आदित्य शर्मा, मीडिया प्रभारी अमन शुक्ला एवम ध्रुव कुमरावत ने दी।

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