महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पहले बैकफुट पर आई बीजेपी
रिपोर्टर-संजय मस्कर
लोकसभा चुनावों में 23 सीटें से गिरकर नौ पर सिमटी बीजेपी संगठन में बदलाव नहीं करेगी। पार्टी ने मौजूदा पदाधिकारियों के बूते ही विधानसभा चुनावों में उतरेगी। पार्टी ने पहले लोकसभा चुनाव में काम नहीं करने वालों के ऊपर कार्रवाई करने का ऐलान किया था अब पार्टी आगे बढ़ने के मूड में नहीं है।
हार के बाद भी टाला संगठन में बदलाव का फैसला
जिनकी की आलोचना की थी वे अभी पद पर बने रहेंगे
पार्टी चुनावों से पहले और पंगा लेने के मूड में नही है!
लोकसभा चुनाव में मिली पराजय के बाद बीजेपी संगठन में बड़े बदलाव का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन पार्टी बैकफुट पर आ गई है। ऐन विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी बदलाव कर किसी से पंगा नहीं लेना चाहती, इसलिए संगठन में किसी भी प्रकार के बदलाव की संभावना खत्म होती दिखाई दे रही है। अनुशासित पार्टी कही जाने वाली बीजेपी में अब वह ताकत नहीं रही थी कि निठ्ठले और निकम्मों पदाधिकारियों पर कार्रवाई कर सके। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने सवाल किया कि क्या विधानसभा चुनाव उन पदाधिकारियों के सहारे लड़े जाएंगे जिन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार के लिए काम नहीं किया। क्या पार्टी विधानसभा चुनाव का हश्र भी लोकसभा के जैसा देखना चाहती है।
सिर्फ नौ सीटें जीती थी बीजेपी-
हरियाणा लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा था। लोकसभा सीटें 23 से घटकर सीधे 9 पर आ गई। इसके लिए पार्टी नेताओं ने बीजेपी पदाधिकारियों के काम नहीं करने का एक कारण भी बताया गया था। पार्टी ने उन पदाधिकारियों की पहचान भी की थी जिन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार के लिए काम नहीं किया। पार्टी ने तय किया गया कि लोकसभा चुनाव में काम नहीं करने वाले या फिर घर बैठ गए पदाधिकारियों की छुट्टी की जाएगी। उन्हें पद-मुक्त करेंगे। कई महीने तक पार्टी के अंदर चर्चा ही चलती रही। निर्णय लिया कि पार्टी निचले स्तर से लेकर जिला अध्यक्षों को बदलेंगे। साथ ही मुंबई और महाराष्ट्र स्तर के कई पदाधिकारियों को पद-मुक्त किया जाएगा। उनकी जगह पर नए युवा लोगों को अवसर दिया जाएगा। लेकिन पार्टी इसे अमल नहीं कर सकी।