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खोखले प्रजातंत्र व संविधान की ओट में कुटिल नेताओं ने ब्यूरोक्रेसी से गठबंधन कर राजनीति को तिजारत बना कर रख दिया कहें तो अतिशयोक्ति नहीं खोखले आडंबरों के सहारे देश की व्यवस्था को रखैल बना कर रख दिया। – दिनेश सिंह सिकरवार

 

मुरैना,मेरे भाई अच्छा राजनीतिज्ञ अपनी रणनीति को समय से पूर्व खुलासा क्यों करेगा।
अब सत्तालोलुप नेता इतने खुदगर्ज हो चले हैं,कि वो वोट बैंक की खातिर किसी भी हद तक जाने का माद्दा रखते हैं रहा सवाल कौन -कौन किस पार्टी का उम्मीदवार घोषित होगा यह सस्पैंस तो चुनाव के उस क्षण तक रहेगा जब तक चुनाव में खड़े किए गए उम्मीदवार को पार्टी सिंबल नहीं मिल जाएगा। क्योंकि राजनीति अब इतनी बड़ी तिजारत बन चुकी हैं जिसमें करोड़ों खर्च करके अरबों कमाने के रास्ते बिना ढूंढे मिल जाते हैं खुद की प्रापर्टी, रईसी व रुतबा सरकारी खजाने से मिलता है सारी ब्यूरोक्रेसी गुलामों की तरह ऐसे नेताओं के इर्द-गिर्द चाकरी करती फिरती है वो इसलिए क्योंकि प्रजातंत्र के चुनावी खेल में मतदाता गरीबों पर भरोसा न करके दलीय राजनीति के उम्मीदवारों पर अटूट विश्वास करता है देश को विदेशियो की गुलामी और पराधीनता से से तो आजादी मिल गई परंतु दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि देश जनता जनार्दन को मुठ्ठी भर चालाक कुटिल स्वदेशी राजनेताओं से आर्थिक आजादी न मिल पाई बेहतर नीति के उन राजनेताओं में इस भीड़ को जिसे प्रजातंत्र के चुनावी महाकुंभ में जनता जनार्दन कहा जाता है उसे भरोसा ही नहीं है इसका कारण एक ही है इस जन-मानस को इसे शिक्षा व जनसरोकार के मुद्दों से इतना दूर रखा जाता है कि वो वोट देने के वक्त तक खुद का हित अहित सोचने की क्षमता ही खो बैठता है।जब तक लोगों की बौद्धिक क्षमता का विकास नहीं होगा बैहतर सुखी समृद्ध भारत वर्ष का खड़ा होना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन है इस सबके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार प्रजातंत्र का चौथा स्तम्भ है जो सदैव बड़े बड़े धनाढ्यों के समूह के जांबाज बुद्धिमान कलमकार किंकर्तव्यविमूढ़ होकर सिर्फ और सिर्फ रोजी रोटी की खातिर अपने जमीर को औने-पौने दामों पर बेच कर या गिरवी रख कर अपने कर्तव्य को भूलकर गुलामों की तरह कुटिल राजनीति के खिलाड़ियों के हाथों में खेलते रहेंगे शहीदों ने स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा कि हमारी शहादत को इस संविधान की आड़ में ये नेतागण व ब्यूरोक्रेसी इस तरह देश को चलाऐगी भौतिक सुख शाश्वत नहीं है बुद्धिमान कलमकारों को लोगों को आर्थिक आजादी दिलाने तथा ऐसी गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए राष्ट्र भक्तों की नई भूमिका में आकर खड़ा होना होगा नई क्रांति के अगुआ के रूप में निडर निर्भीक होकर आगे आना ही चाहिए तथा क्रांति का शंखनाद कर इसका जनक जनकल्याण हेतु बनना ही होगा

संवाददाता सुनील गोयल

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