ना कवियों का आमंत्रित किया जाता है, ना श्रोताओं को बुलाया जाता है
रिपोर्टर रवीन्द्र सिसोदिया
नालछा/डोल ग्यारस के पर्व पर यहां एक अनूठा कवि सम्मेलन की परंपरा आज भी जीवित है। इस कवि सम्मेलन में ना ही किसी कवि को आमंत्रित किया जाता है। और ना ही श्रोताओं को, मंच के बजाय ओटले पर ही कवी विराजमान होते हैं। और गली व मकान की पेडियों पर श्रोता बैठे होते हैं। यह कवि सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय अखिल भारतीय क्षेत्रीय ग्रामीण ओटला कवि सम्मेलन के नाम से प्रसिद्ध हो चुका है।
चल समारोह के दौरान गांव के मुख्य मार्ग पर स्थित वरिष्ठ ग्रामीण एवं पत्रकार प्रकाश गंगवाल के ओटलै पर मंच सजा और दिवंगत रचनाकार राम अवतार जायसवाल को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए क्षेत्रीय कवि सम्मेलन की शुरुआत हुई।
*नर्मदा मैया को लाएगै, भूमि को उपजाऊ बनाएंगे*
प्रथम कविता रतन राठौर ने मां नर्मदा मैया को नालछा लाने के लिए प्रस्तुति देते हुए
नर्मदा मैया को लाएगै, भूमि को उपजाऊ बनाएंगे, किसानों को खुशहाली लाएंगे, कृषि को लाभ का धंधा बनाएंगे। की प्रस्तुति दी।
*शीतल मंद पवन सी मां*
नंदकिशोर कुशवाहा ने मां पर आधारित कविता प्रस्तुत की इसमें उन्होंने कहा कि,मैं हवा का तीखा झोंका,
शीतल मंद पवन सी मां। मैं बादल का छोटा टुकड़ा, l
नीले नीले गगन सी माँ। कविता को काफी सराहना मिली।
*पूरा सच कह दूं तो सुन पाओगे क्या*
कवि जितेंद्र कुशवाह ने आज के नेताओं के ऊपर काव्य पाठ करते हुए कहा कि
पूरा सच कह दूं तो सुन पाओगे क्या,वैसे तो आप एक नेता है , उससे भी कही ज्यादा अच्छे अभिनेता है।
जो अपने नेता होने के रोल को बहुत ही अच्छी तरह निभा रहे हैं, मेरे गांव के पीछे वाली झुग्गी के लोग आज भी आप ही के गुण गा रहे हैं। पूरा सच कह दूं तो सुन पाओगे क्या। आपने उनसे वादा किया है कि यदि आप चुनाव जीत जाएंगे।कविता पर खूब दात बटोरी।
*जिनमें रामलाल का मंदिर बनवाने की क्षमता थी।*
कवि देवकरण भगत अपने वोट के बारे में काव्य पाठ किया उन्होंने कहा कि
वोट उन्हीं को दिया कि जिनमें कर पाने की क्षमता थी।
लाल लहू से अमर तिरंगा रंग पाने की क्षमता थी
जिनमे आर पार के निर्णय कर पाने की क्षमता थी।
जिस दुश्मन के घर अंदर घुस पाने की क्षमता थी।
जिनमें रामलाल का मंदिर बनवाने की क्षमता थी। कविता पर जय जय सियाराम की जय घोष से गूंज उठा।
*आज कल संस्कार बदले है।*
कवि अनीश अलबेला की कविता
आज कल संस्कार बदले है, मौसम की तरह
बिन काम के हो गए है बेटे ,नोकिया फोन की तरह
कहां करते हैं सेवा मां-बाप की, बच्चे हद से ज्यादा होशियार हो गए हैं , स्मार्ट फोन की तरह की शानदार प्रस्तुति दी।
*विष कोई शंकर पीता है।*
14 वर्षीय छात्रा कु खुशी यादव ने अपनी कविता में ना नर मे कोई राम बचा, नारी मे ना कोई सीता है, ना धरा बचाने के खातिर, विष कोई शंकर पीता है। राजू जायसवाल ने धार्मिक छंद एवं जितेंद्र दायमा ने गीत की प्रस्तुति दी।