रतलाम में किसानो का जल सत्याग्रह : खेत पर जाने का रास्ता नहीं
रिपोर्टर/दशरथ सोलंकी रतलाम
जिले के हतनारा गांव के किसानों ने बुधवार सुबह से जल सत्याग्रह आंदोलन शुरू कर दिया और जल में बैठ गए।
किसानों का कहना है कि उनके खेतों में जाने के लिए रास्ता नहीं है इस कारण फसल बर्बाद हो रही है पूर्व में कई बार शिकायत दर्ज करने के बाद भी समस्या का हल आज तक नहीं हुआ।
प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया,
दो सौ से ज्यादा किसानों की दो हजार बीघा जमीन है
गांव के बीच में कुडेल नदी है, नदी के पास मे गांव है बारिश के कारण खेतों में जाने के लिए रास्ता नहीं बचा है बीच में नदी आती है, जिसे पार कर जाना पड़ता है नदी में अभी भी पानी है बहाव भी हैं गांव से रास्ता निकल कर जाता है उस पर पैदल चलकर भी नहीं जा सकते हैं। ट्रैक्टर व पशु भी नहीं जा सकते हैं खेती नदी के उस और होने के कारण हो रहा है समस्या रहती है।
पानी में बैठने की जानकारी लगते ही जिला पंचायत सीईओ पहुचे साथ मे बागरोद चौकी प्रभारी आनंद बागवान समेत पुलिस कर्मी भी पहुंचे।
ग्रामीणों से चर्चा करते हुए ग्रामीण विधायक मथुरालाल डामर से भी चर्चा करवाई। लेकिन ग्रामीण नहीं माने , उनका कहना था कि कलेक्टर के आने के बाद ही मानेंगे।
हर बारिश में समस्या आती है
ग्रामीणों ने बताया कि हर साल ऐसी स्थिति बनती है ग्राम पंचायत और जिला पंचायत सीईओ को अवगत कराया गया। कोई ध्यान नहीं देता है ।
प्रशासन ने कहा कि किसानो की मांग सुनी है वरिष्ठ अधिकारीयो से चर्चा कर समस्या का हल निकाला जाएगा।
किसानों ने बताया समरथ पाटीदार, संजय पाटीदार,कि खेत खलिहान जाने वाला मार्ग है ग्राम पंचायत द्वारा इस सड़क मार्ग के लिए मांग कर चुके हैं जब तक लिखित मे नही मिलेगा जब तक ग्रामीण लोग पानी में बैठे रहेंगे। फसल पककर तैयार हो चुकी है इस लिए जल सत्याग्रह किया जा रहा है लगातार दो दिन से चल रहा है सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है।
नियमों में प्रावधान,40 प्रतिशत राशी जनसहयोग अन्य किसी मद से आए
मनरेगा के तहत गांव में सुदूर सड़क योजना मार्ग बन सकता है
इस योजना के प्रावधान मै 60 प्रतिशत राशी विभाग द्वारा और 40 प्रतिशत जनसहयोग व अन्य किसी मद से जो मनरेगा योजना के अंतर्गत स्वीकृत हो सकती है।
दो दिन से लगातार जल सत्याग्रह किया जा रहा है अपनी मांग को पूरा करने में लगे किसान खेतों में फसल काटने के लिए परेशान हो चुके हैं।