इफको ने किसान संगोष्ठी में नैनो उर्वरक के महत्व को समझाया
रिपोर्टर राजपाल सिंह
देवास। ग्राम दत्तोत्तर जिला देवास में इफको द्वारा नैनो उर्वरक उपयोग विषय पर बृहद कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता नंदकिशोर पाटीदार पूर्व जिला अध्यक्ष भाजपा देवास ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. ए. के. बढ़ाया प्रमुख कृषि विज्ञान केंद्र देवास, गोपेश पाठक उपसंचालक कृषि देवास , डॉ डी के सोलंकी राज्य विपणन प्रबंधक इफको भोपाल, डॉ महेंद्र सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र देवास, डॉ भार्गव वरिष्ठ वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र देवास एवं लोकेश गंगराड़े सहायक संचालक कृषि देवास उपस्थित थे। आईएफएफडीसी कृषक सेवा केंद्र के प्रभारी मनीष पाटीदार ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत किया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए राजेश पाटीदार सहायक क्षेत्र प्रबंधक इफको देवास ने बताया कि इफको किसानो की विश्व की सबसे बड़ी सहकारी संस्था है जिसका निर्माण कृषको को उच्च गुणवत्ता के उर्वरक उचित दाम पर उपलब्ध करने, उनका वितरण सहकारिता के माध्यम से करने एवं कृषको को नवीन कृषि तकनीक के बारे में अवगत कराकर कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था। इफको भोपाल से पधारे डॉ डी के सोलंकी ने नैनो उर्वरक के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस तरह से नैनो उर्वरक विषमुक्त खेती करने में सहायक सिद्ध हो सकता हैं। इनके उपयोग से कृषि लागत कम की जा सकती है एवं उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है साथ ही भारत सरकार की करोड़ों की अनुदान राशि की बचत की जा सकती है। केवीके प्रमुख डॉ बढ़ाया ने बताया कि नैनो उर्वरक एवं जैव उर्वरक का उपयोग करने से मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखते हुए खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सकता है। उपसंचालक कृषि गोपेश पाठक ने बताया कि अत्यधिक रासायनिक उर्वरक का उपयोग करने से मिट्टी का स्वास्थ्य लगातार गिर रहा है। इसको सुधारने के लिए कृषि की समन्वित पद्धति का उपयोग करना पड़ेगा।इसमें नैनो उर्वरक, जैव उर्वरक एवं जैव व्याधिनाशको का उपयोग करना एवं फसल विविधीकरण अपनाना आवश्यक है। नंदकिशोर पाटीदार ने इफको कृषक हित के कार्यों की सराहना करते हुए सभी कृषकों से नैनो उर्वरक एवं उन्नत कृषि तकनीक उपयोग करने का आग्रह किया। कार्यक्रम में दीपक पाल मुख्य क्षेत्र प्रबंधक इफको उज्जैन एवं महेंद्र पटेल क्षेत्रीय अधिकारी इफको शाजापुर का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम में लगभग 500 कृषकों ने भाग लिया।