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आखिर कब थमेगा डॉ. दीपक देवरे की लापरवाही से प्रसूताओ की मौत का सिलसिला

रिपोर्ट डॉ.आनंद दीक्षित

बुरहानपुर। एक बार फिर महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक देवरे की लापरवाही से इंदौर इच्छापुर हाईवे पर संचालित गुड हॉस्पिटल में एक प्रसूता अपने दूध मुंहे नवजात शिशु को छोड़ काल का ग्रास बन गई। प्रसूता की मौत के बाद यहां हंगामा मच गया। परिजनो का आरोप हैं की प्रसूता की मौत के बाद भी हमसे ब्लड बुलवाया गया और जैसे ही हमे पता चला शव को हॉस्पिटल के बाहर रखवा दिया गया।

*क्या हैं पूरा मामला

रात तकरीबन 1.30 बजे फोफनार से एक प्रसूता को डिलेवरी के लिए जिला चिकित्सालय लाया जाता हैं। ड्यूटी डॉक्टर द्वारा उसे खंडवा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता हैं और यही से खेल शुरू होता हैं कमीशनखोरी का। जिला चिकित्सालय में मौजूद कुछ कर्मचारी आशा कार्यकर्ता के साथ मिली भगत कर खंडवा रेफर की हुई प्रसूता को गुड हॉस्पिटल ले आते हैं। यह वही गुड हॉस्पिटल हैं जहां कोई भी पूर्णकालिक स्त्री रोग विशेषज्ञ ना होने के बाद भी अधिकारियों के आशीर्वाद से नियम विरुद्ध हॉस्पिटल फल फूल रहा हैं।

हॉस्पिटल में प्रसूता को भर्ती कर ड्यूटी स्टाफ द्वारा डॉ. दीपक देवरे को कॉल कर बुलाया जाता हैं और लगभग रात 3 बजे प्रसूता का डॉ. दीपक देवरे द्वारा ऑपरेशन कर दिया जाता हैं। ऑपरेशन उपरांत सुबह लगभग 11 बजते बजते प्रसूता की मौत हो जाती हैं। प्रसूता की मौत की खबर हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा परिजनों को देने के बजाय प्रबंधन उनसे ब्लड की मांग करता हैं। यह आरोप हम नहीं लगा रहे हैं यह आरोप हैं मृतक के परिजानो के। उनका कहना है कि क्या मुर्दे को हॉस्पिटल ब्लड चढ़ाना चाहता था? प्रसूता के शव को हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा हॉस्पिटल के सामने रखावा दिया जाता हैं। जिससे परिजन चीत्कार उठते हैं और काफी देर तक विरोध प्रदर्शन करते रहे।

*क्या नियमों को ताक पर रख दी गई हैं नर्सिंग होम संचालन की अनुमति?

किसी भी नर्सिंग होम की अनुमति जारी करने की जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की होती हैं। सी एम एच ओ एक समिति बना कर हॉस्पिटल की जांच करवाता हैं और जांच समिति की अनुशंसा पर नर्सिंग होम संचालन की अनुमति जारी की जाती हैं। अब हम बात करे उस भवन की जिसमे गुड हॉस्पिटल संचालित हैं तो उस भवन के तीनो तरफ 4.5, 4.5, 4.5 मीटर एवं फ्रंट में 7.5 मीटर जगह छोड़ना आवश्यक हैं क्योंकि यदि आग लगे तो एक फायर फायटर हॉस्पिटल बिल्डिंग के चारो तरफ घूम कर आग पर काबू पाया जा सके। परंतु जिस भवन में गुड हॉस्पिटल संचालित हैं उस भवन में तीनो तरफ जगह नहीं छोड़ी गई हैं उपरांत भी नर्सिंग होम संचालन की अनुमति कैसे और किस डॉक्टर की अनुशंसा पर की दी गई यह जांच का विषय हैं।

*परिजनो का आरोप डॉक्टर की लापरवाही से हुई प्रसूता की मौत, हॉस्पिटल प्रबंधन का अमानवीय चेहरा उजागर*

परिजनो का आरोप है कि हॉस्पिटल ने लापरवाही बरती गई, डेढ़ लाख रूपए भी ले लिए। इसके बाद भी मौत होने पर बॉडी न देते हुए तीन दिन और रखने का कह रहे थे। इसका विरोध किया गया तो बॉडी बिना परिजनो की सहमती के बाहर लाकर रख दी। इसे लेकर काफी देर तक हंगामा चला और बाद में खुद परिजनो ने भी शव ले जाने से इनकार कर दिया। मृतक के परिवार वाले डॉक्टर पर कार्रवाई की मांग पर अड़ गए। मौके पर शिकारपुरा थाना निरीक्षक कमल पवार भीड़ को समझाइश देते रहे बाद में सीएसपी गौरव पाटिल और एसडीएम पल्लवी पुराणिक भी घटना स्थल पर पहुंचे और परिजन को समझाईश देकर शव जिला अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

*कही मौत का कारण ऑपरेशन के बाद अधिक खून बहने सेहेमोरेजिक शॉक की वजह से कार्डियाक अरेस्ट तो नहीं?*

अधिकतर ऐसे प्रकरणों में देखा गया हैं की ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर जल्दबाजी में या कई हॉस्पिटल में फेरी लगा कर ऑपरेशन करते हैं और उन्हे मरीज की जरा भी चिंता नहीं होती। ऐसे डॉक्टरों का भगवान सिर्फ पैसा होता हैं। डॉक्टर की लापरवाही के कारण ऑपरेशन के दौरान या ऑपरेशन के बाद अधिक खून बहने से मरीज हेमोरेजिक शॉक में चला जाता हैं और कार्डियक अरेस्ट से भी मरीज की मौत हो सकती हैं जिसकी पूरी जिम्मेदारी डॉक्टर की होती हैं।

अब देखना यह हैं की सिविल सर्जन द्वारा तीन सदस्यीय पोस्ट मार्टम दल जिसमे डॉ. दर्पण टोके, डॉ. रेहना बोहरा और डॉ. जायसवाल हैं अपनी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या खुलासा करते हैं।

*परिजनो ने हॉस्पिटल प्रबंधन पर लगाए गंभीर आरोप*

परिजनों ने कहा की पहले अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाए इसके बाद बॉडी यहां से लेकर जाएंगे। डेढ़ लाख रूपए लेने के बाद भी बॉडी बाहर लाकर पटक दी। पुलिस ने काफी देर तक समझाईश दी तब शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया।

*मेरे स्टाफ के साथ मारपीट की गई, आरोप निराधार*

गुड हॉस्पिटल संचालक विजय सुगंधी ने कहा- परिजनों के आरोप निराधार है। मैंने डेढ़ लाख रूपए नहीं लिए। कल रात दो बजे पेशेंट आई थी। नौ माह की गर्भवती थी, सिरीयस थी। सीजर किया गया। इससे पहले हमने कहा था कि पेशेंट को जान का खतरा है। ऑपरेशन से पहले और बाद में भी खतरा है। इसके बाद ही ट्रीटमेंट चालू किया था। सुगंधी ने कहा जब आए तब उनके पास पैसा नहीं था। मेरे स्टाफ ने ढाई हजार रूपए ब्लड बुलाने के लिए दिए। पैसा अभी तक भी जमा नहीं कराया। अगर कराया है तो उसकी रसीद बताएं। गुड अस्पताल गरीबों का अस्पताल है। इससे पहले पुलिस को हमने ही सूचित किया। पुलिस ने भी रिकार्डिंग की। हमारे स्टाफ के साथ भी मारपीट की गई इसलिए शव नीचे रख कर कर्मचारी हट गए। महिला की मौत आज हुई। मरने के बाद भी ईलाज किए जाने की बात निराधार है। मेरा अस्पताल सीएमएचओ में रजिस्टर्ड है। इमरजेंसी में कोई भी डॉक्टर आकर उपचार कर सकता है।

गुड हॉस्पिटल में एक महिला की ऑपरेशन के बात मौत का मामला सामने आने पर पहुंचे थे। यह जांच का विषय है जो भी आरोप लगाया जा रहा है उसकी जांच कराई जाएगी। वरिष्ठ अफसरों के संज्ञान में यह बात लाई गई है। मृतिका की बॉडी को जिला अस्पताल भेजा गया है। डॉक्टरों की टीम द्वारा पोस्टमार्टम किया जाएगा। इसके बाद कारणों का पता चलेगा।

-गौरव पाटिल, सीएसपी बुरहानपुर

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