नागदा की जहरीली फैक्ट्री से प्रदूषित हुई चंबल नदी
संवादाता मोहम्मद शरीफ कुरैशी
रतलाम 26 सितंबर 2024
पुरातन काल में कुछ जाहिल किस्म के लोग चम्बल नदी के लिए चाहे जो बकवास कर गए हो लेकिन सच्चाई यह है कि चम्बल आज भी बहुत हद तक देश की सबसे साफ सुथरी नदियों में से एक है।
चम्बल यमुना, गंगा और शिप्रा से भी ज्यादा साफ नदी मानी जाती है लेकिन लोग उसे भी दूषित करने पर तुल गए हैं।
दो पहाड़ों के बीच यानी गोर्ज में बहने वाली चम्बल नदी पर सिर्फ 16 करोड़ की लागत से गांधीसागर बांध का निर्माण किया गया तो इससे पहले के मैदानी हिस्से में 660 वर्ग किलोमीटर में झील बन गई। गरोठ और भानपुरा तहसील के दर्जनों गांव इसी झील के किनारे बसे हुए हैं।
इन गांवों के बाशिन्दे उस समय हैरान रह गए जब नाइट्रैट की एक किलोमीटर लंबी परत गांवों के किनारे इकट्ठा हो गई। कैमिस्ट्री के छात्र जानते हैं कि नाइट्रेट, पानी ( H2O) के साथ मिलकर नाइट्रिक एसिड ( HNO3) बनाता है। यह एसिडयुक्त पानी अगर पीने में आ जाए तो आपकी आंतें फाड़ सकता है।
गांधीसागर, रावतभाटा और कोटा के बाशिन्दों के लिए यह चिन्ता की बात है। हमारा पेयजल गांधीसागर बांध से राणाप्रताप सागर बांध, जवाहर सागर बांध से होकर अकेलगढ़ (कोटा) आता है।
आप कह सकते हैं कि सागर की विशाल जलराशि में एक किलोमीटर लंबी नाइट्रेट की पर्त क्या नुकसान पहुंचाएगी? लेकिन खतरा तो है!
भास्कर संवाददाता ने नागदा की कैमिकल फैक्ट्रियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है भास्कर के हाथ तो बहुत लंबे हैं। उन्होंने फैक्ट्रियों के प्रबंधकों से पानी के दूषित होने के संबंध में बात करनी चाहिए थी।
उनका पक्ष देना चाहिए था। मध्यप्रदेश राज्य प्रदूषण मण्डल के सामने सारे फैक्ट रखने चाहिए थे।
ग्रीन ट्रिब्यूनल का मुख्यालय भी भोपाल में ही है, वहां भी किसी एनजीओ से याचिका दायर करवाना चाहिए थी।
मैं अखबार से इतनी उम्मीदें बांध रहा हूं लेकिन मेरे मित्र एडवोकेट अनिल मित्तल का कहना है कि अखबार विज्ञापनदाता फैक्ट्रियों से अब नहीं भिड़ते, फिर भले ही जनस्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो तो उनकी बला से?
इस मामले में कोटा के जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि चम्बल नदी के जल पर सतत निगरानी रखी जाए। यानी लैब में नदी जल के टैस्ट हो। इस मसले पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री से बात की जाए। नाइट्रेट कहां से नदी में आ रहा है, उसके स्त्रौत की पुख्ता पहचान की जाए।
‘चम्बल संसद’ और ‘हम लोग’ संस्था के मित्रों से अनुरोध है कि इस मामले को विभिन्न मंचों पर हाईलाईट करें और चम्बल का पानी मलिन होने से बचाए।
नाइट्रेट नदी में मीलों दूर पड़ा है लेकिन खतरा बहुत बड़ा है। जब नहरें चलेंगी और बांधों से निरन्तर पानी छोड़ा जाएगा तो उसे बहकर कोटा आने में कुछ दिन भी नहीं लगेंगे। इसलिए जाग जाओ कोटावासियों!