लाइलाज ग्लोकोमा ने छिनी मधुवन की दृष्टी सरकारी योजनाओं का भी नहीं मिल रहा कोई लाभ

रिपोर्ट –जयविलास शर्मा
आवेदन करने के बाद भी अब तक नहीं मिल सका दिवयांगता प्रमाण पत्र
गरियाबंद –जिले के देवभोग ब्लाक के डुमरबहाल निवासी मधुवन बिसी इन दिनों दुखभरा जिंदगी जीने को मजबुर है।साल 2016 में ग्लोकोमा नामक रोग से दोनों आंखों की 100 प्रतिशत रोशनी चली गयी,रोशनी लौट आये यही सोच उसने दो बार नारायण नेत्रालय रायपुर में इलाज भी कराया वहां के डाक्टरों ने भी जबाब दे दिया।हालांकि इलाज के लिये आयुष्मान कार्ड का उपयोग किये जाने से इलाज के खर्चे का भार मधुवन के परिवार पर नहीं पड़ा लेकिन आने जाने और खाने पीने में घर की जमापुंजी भी चली गयी।घर में मधुवन कमानेवाला एकलौता मुखिया हैं आंखों की रोशनी चले जाने से अब कमाने और परिवार चलाने वाला कोई नहीं है जिससे परिवार भारी आर्थिक स़ंकट से जुझ रहा है।
*लाइलाज है आंखों का 100फीसदी ग्लोकोमा रोग*
आखिर आंखों की दृष्टी छिनने वाला ग्लोकोमा होता कैसे है देवभोग सीएचसी में पदस्थ नेत्र सहायक डा.शेष नारायण पात्र ने बताया आंखों पर भारी प्रेसर और बिडी तमबाकु शराब आदि नशा सेवन इसका मुख्य कारण होता है।पहले यह 40 वर्ष के उम्र में होता था मगर अब बढ़ते नशाखोरी के कारण यह रोग 25से 30 वर्ष के उम्र में ज्यादा देखी जा रही है।और इस रोग में 100 प्रतिशत रोशनी चले जाने के बाद लाइलाज हो जाता है।उन्होंने समाचार के माध्यम से नशा ना करने और ज्यादा रातजगा ना रहने की अपील की है।
*पिता की रोशनी गयी 22 वर्षीय पुत्र को पढ़ाई छोड़नी पड़ी*
डुमरबहाल के मधुवन के आंखों की रोशनी जाते ही उसके 22 वर्षीय पुत्र को बीए की पढ़ाई छोड़नी पड़ी ऐसे में बेटा को मजदुरी कर परिवार के मुखिया की जिम्मेदारी उठाना पड़ रहा है।चार सदस्य वाले परिवार का भरण पोषण उसके अकेले के कमाई से नहीं हो पा रहा है।
*सरकारी मदद के लिये शिविर से लेकर पंचायत, जिला कार्यालय का लगा चुका कई चक्कर*
दृष्टी बाधित मधुवन रोशनी चले जाने के बाद से अब तक सरकारी मदद के लिये पंचायत से लेकर जिला कार्यालयो का चक्कर काट रहा है। वर्ष 2017 से अब तक दिवयांगता प्रमाण पत्र हासिल करने शिविर से लेकर जिला अस्पताल तक आवेदन कर चुका मगर बीते 5-6 वर्षों में दृष्टीहीन मधुवन को प्रशासन ने प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराया। दिवयांगता प्रमाण पत्र के अभाव में मधुवन को पंचायत संबंधित लाभ से संचित होना पड़ रहा है।