धीरेंद्र तिवारी ने आठवीं बार दीपक आदिवासी ने पहली बार किया खून दान
राम बिहारी गोस्वामी
जिला अस्पताल पन्ना में भर्ती 9 वर्ष की बालिका कुमारी शिवानी आदिवासी को खून की अत्यंत जरूरत थी। जो की ब्लड बैंक में ही खून उपलब्ध था। इसके बावजूद बेटी का पिता एवं उसके रिश्तेदार खून की तलाश में इधर-उधर भटक रहे थे। तभी उनके द्वारा पन्ना जिले के समाजसेवी राम बिहारी गोस्वामी को दूरभाष के माध्यम से जानकारी दी गई। समाजसेवी राम बिहारी गोस्वामी जिला अस्पताल पन्ना पहुंचे और पीड़ित बालिका के पिता दीपक आदिवासी एवं उनके रिश्तेदारों को खून दान से होने वाले फायदे के बारे में समझाया गया। जिसके बाद लड़की का पिता दीपक आदिवासी अपना खूनदान स्वेच्छा से करने के लिए तैयार हो गए और खून का परीक्षण कराया , जो की 14 पॉइंट से ज्यादा मात्रा में था।
जो की देने के लिए पत्र थे। जिसके बाद दीपक आदिवासी द्वारा पहली बार स्वेच्छा से खूनदान किय गया है। इसके उपरांत पन्ना जिले के धरमपुरर गजन निवासी महेंद्र सिंह यादव की 8 वर्षीय बेटी अंशिका यादव को ओ नेगेटिव खून की अत्यंत जरूरत थी । जिसको लेकर दूरभाष के माध्यम से जानकारी गांव के ही स्थानीय निवासी शान सिंह यादव द्वारा समाजसेवी राम बिहारी गोस्वामी एवं वन विभाग में पदस्थ वनरक्षक सर्वजीत सिंह को दूरभाष के माध्यम से जानकारी दी गई। जिनके अथक प्रयासों से पन्ना शहर के ही निवासी धीरेंद्र तिवारी पिता प्रभु दयाल उम्र ३५ वर्ष को जैसे ही जानकारी प्राप्त हुई वह रात्रि के लगभग 10:30 बजे घर से पन्ना जिला अस्पताल पहुंचे और उन्होंने रात्रि में आठवीं बार स्वेच्छा से रक्तदान बेटी को नया जीवन दान देने का पुनीत कार्य किया है। रक्तदान दाता धीरेंद्र तिवारी ने बताया कि उनका सबसे जटिल ब्लड ग्रुप है । जो की बहुत कमम जरूर पड़ता है। मगर जब भी किसी मरीज को जरूरत पड़ती है तो उन्हें काफी परेशानियां का सामना करना पड़ता है । अभी तक सिर्फ आठ बार खून दान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति को वर्ष मे दो से तीन बार रक्तदान अवश्य करना चाहिए। रक्तदान करने से किसी भी प्रकार की कमजोरी बीमारी नहीं होती है। खून दान करने के पहले यह जरूर पता करें कि जिस पीड़ित परिवार को खून की जरूरत है उनके परिवार के सदस्यों ने स्वयं का खून परीक्षण कराया है या नहीं । यदि पीड़ित परिवार के लोग ही खून दान नहीं करते हैं तो ऐसे परिवार को मदद करना उचित नहीं है। क्योंकि जिस परिवार का सदस्य बीमार होता है उस परिवार के लोगों का प्रथम दायित्व खून देना बनता है। रक्तदान केस पुनीत कार्य में समाजसेवी राम बिहारी गोस्वामी वनरक्षक सर्वजीत सिंह गोप्पी भैया लैब टेक्नीशियन रामनाथ ओमरे शांन सिंह यादव का सराहनीय योगदान रहा।