छत्तीसगढ़िया की पहली पसंद है यह भाजी, सर्दी के मौसम के लिए है आयुर्वेद औषधि
रिपोर्ट -शत्रुहन प्रसाद साहू
भाटापारा -दबंग केसरी -धान का कटोरा कहे जाने वाला छत्तीसगढ़ हरी-भरी भाजियों का भी गढ़ है. प्रदेश में भाजियों की 80 प्रजातियां एक समय पाई जाती थीं. इसमें 36 प्रकार की भाजियां ऐसी हैं जिन्हें आज भी लोग चाव से खा रहे हैं. उन्हीं में से एक है बथुआ भाजी.
सर्दी के मौसम में बथुआ भाजी की मांग बढ़ जाती है. आयुर्वेद विशेषज्ञों की मानें तो इसको नियमित आहार में शामिल करने से कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है. सर्दियों में यह आसानी से मिल जाता है, इस मौसम में नियमित रूप से इसका सेवन करना चाहिए. इसे साग के रूप में खाना सबसे पौष्टिक होता है. परांठा, रोटी के तैयार आटे में भी मिलाकर गूंथ सकते हैं. सूप और जूस बनाकर भी ले सकते हैं. सब्जी और दालों में भी मिलाकर खाना फायदेमंद होता है.
बथुआ भाजी के फायदे (Winter Special Bhaji)
इसका साग खाना न केवल अनियमित माहवारी में मददगार है बल्कि पेट दर्द भी कम करता है. बथुआ शरीर को डिटॉक्स करने का काम भी करता है. खाने से त्वचा में निखार आता, कई रोगों से बचाव होता है. बथुआ के साग में पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी 2, बी 3, बी 5, विटामिन सी, कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैंगनीज, फॉस्फोरस, पोटैशियम और सोडियम आदि पाया जाता है. जिन्हें कब्ज रहती है. वे इसको उबालकर हल्का सेंधा नमक मिलाकर खाएं. इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में मिलता है. इसके साग में सेंधा नमक डालकर खाते हैं तो लाभ दोगुना हो जाता है.