रिसर्च मेथ्डोलॉजी वर्कशॉप में वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. उपाध्याय ने कहा-अखिल भारतीय स्तर पर बहुत कार्य हो चुका है, क्षेत्रीय इतिहास लिखिये

रिपोर्ट अविचल राजा शर्मा
बड़वानी 12 दिसम्बर 2023/अखिल भारतीय स्तर पर इतिहास के सभी आयामों पर बहुत कार्य हो चुका है। आप अपने क्षेत्र के इतिहास का लेखन कीजिए। आज जिस समाज से संबंधित है, उस समाज का इतिहास लिख सकते हैं। प्रत्येक समाज की परंपराएं, संस्कृति, तीज-त्योहार आदि होते हैं। प्रत्येक समाज में स्वतंत्रता संग्राम लड़ने वाले सेनानी हुए हैं। प्रत्येक समाज का देश के आर्थिक, राजनीतिक, वैज्ञानिक विकास में योगदान होता है। ये बातें इन्दौर के वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. जगदीश चन्द्र उपाध्याय ने शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ और इतिहास विभाग तथा अनुसंधान केन्द्र द्वारा रिसर्च मेथ्डोलॉजी पर आयोजित कार्यशाला में कहीं। इस अवसर पर वरिष्ठ इतिहास एवं पूर्व कुलपति डॉ. शिवनारायण यादव, संस्कृत विश्वविद्यालय, उत्तराखंड के इतिहासकार डॉ. अजय परमार, पूणे से आई वरिष्ठ इतिहासकार और पूर्व प्राध्यापक डॉ. पुष्पलता खरे ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यशाला का आयोजन प्राचार्य डॉ. दिनेश वर्मा की अध्यक्षता में हुआ। कार्यशाला में डॉ. आशा साखी गुप्ता, डॉ. एम.एस. मोरे, डॉ. डेविड स्वामी, डॉ. महेश लाल गर्ग, डॉ. जयराम बघेल, प्रो. मुकेश पाटीदार सहित स्नातक, स्नातकोत्तर एवं पीएच.डी. स्तर के सौ से अधिक विद्यार्थियों ने सहभागिता की। संचालन एवं संयोजन वर्षा मुजाल्दे तथा अंतिम मौर्य ने किया। इस अवसर पर शोधार्थी शताब्दी अगल्चा ने अपने द्वारा तैयार किये गये सीरवी समाज के इतिहास और दीवान पद-परंपरा के योगदान का प्रजेंटेशन किया।
मौलिक इतिहास लिखें युवा
डॉ. शिवनारायण यादव ने कहा कि हमे सदैव इतिहास का अध्ययन अनुसंधान की दृष्टि से करना चाहिए। इतिहास लेखन के लिए प्रामाणिक स्रोतों का उपयोग करें। मौलिक इतिहास का लेखन करें। पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर निष्पक्ष और सही इतिहास लिखें।
इतिहास जीना सिखाता है
उत्तराखंड से आये डॉ. अजय परमार ने कहा कि इतिहास हमें जीना सिखाता है। भूतकाल में जो भी अच्छा-बुरा घटित हुआ है, वह इतिहास की विषय वस्तु होती है। इतिहास की सबसे छोटी इकाई व्यक्ति होता है। व्यक्ति से परिवार, परिवार से समाज, समाज से राष्ट्र और राष्ट्र से विश्व का निर्माण होता है। इसी तरह से इतिहास का लेखन भी होना चाहिए।
पूणे से आई इतिहासकार डॉ. पुष्पलता खरे ने कहा कि यदि कॉलेज के युवा रिसर्च की तरफ अग्रसर होना चाहते हैं तो अधिक से अधिक स्तरीय पुस्तकों का मन लगाकर अध्ययन करें।
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य डॉ. दिनेश वर्मा ने कहा कि युवा पीढ़ी इतिहास के अनुसंधान की ओर अग्रसर हो रही है। यह बहुत अच्छी बात है।
सीरवी समाज का इतिहास बताया
शोध छात्रा शताब्दी अगल्चा ने सीरवी समाज के इतिहास को सिलसिलेवार लिखा और पावर पाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से बताया कि समाज का उद्भव कैसे हुआ और इस समाज के व्यक्ति देश के विभिन्न भागों में कैसे पहुंचे। आई माता और दीवान पद-परंपरा का विस्तार से विवेचन किया तथा यह भी बताया कि उन्होेने समाज के इतिहास के लेखन के लिए इतिहास के किन स्रोतों का उपयोग किया।
आभार डॉ. एम.एल. गर्ग ने व्यक्त किया।
कार्यशाला का संयोजन कार्यकर्ता प्रीति गुलवानिया और डॉ. मधुसूदन चौबे ने किया। रिपोर्टिंग सुरेश कनेश ने की। सहयोग राहुल वर्मा, प्रदीप ओहरिया, स्वाति यादव, हिमांशी वर्मा, कन्हैया फूलमाली, मोनिका अवासे, नमन मालवीया भियारी गुर्जर, अंशुमन धनगर, अक्षय चौहान द्वारा किया गया।