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लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होल्कर की त्रिशताब्दी समारोह के अंतर्गत हुआ कार्यक्रम का आयोजन

रिपोर्टर रामकेश पटेल

दमोह/हटा रविवार को शासकीय महाविद्यालय हटा में लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होल्कर की त्रिशताब्दी जन्म समारोह के अंतर्गत कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में डॉक्टर शिवानी राय जी प्राध्यापक हटा शासकीय राघवेंद्र सिंह हजारी महाविद्यालय हटा को आमंत्रित किया गया जिसमें कार्यक्रम का शुभारंभ तथा मंच संचालन समाजसेवी श्री गजेंद्र महाजन जी के द्वारा किया गया माता अहिल्याबाई होल्कर की संक्षिप्त जीवन परिचय से शुरू हुआ कार्यक्रम के शुरुआत में मुख्य अतिथि डॉक्टर शिवानी राय एवं मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद की ब्लॉक समन्वयक श्रीमती पुष्पा सिंह जी का स्वागत सभी समाजसेवीओ के द्वारा किया गया इसके उपरांत कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ जिसमें डॉक्टर शिवानी रायजी ने महारानी अहिल्याबाई होलकर के जीवन परिचय से कार्यक्रम का शुरुआत की अहिल्याबाई होळकर का जन्म चौंडी नामक गाँव में हुआ था जो आजकल महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के जामखेड में पड़ता है। दस-बारह वर्ष की आयु में उनका विवाह हुआ। उनतीस वर्ष की अवस्था में विधवा हो गईं। पति का स्वभाव चंचल और उग्र था। वह सब उन्होंने सहा। फिर जब बयालीस-तैंतालीस वर्ष की थीं, पुत्र मालेराव का देहान्त हो गया। जब अहिल्याबाई की आयु बासठ वर्ष के लगभग थी, दौहित्र नत्थू चल बसा। चार वर्ष पीछे दामाद यशवन्तराव फणसे न रहा और इनकी पुत्री मुक्ताबाई सती हो गई। दूर के सम्बन्धी तुकोजीराव के पुत्र मल्हारराव पर उनका स्नेह था; सोचती थीं कि आगे चलकर यही शासन, व्यवस्था, न्याय और प्रजारंजन की डोर सँभालेगा।

*महारानी अहिल्याबाई होलकर के द्वारा देश को समर्पित कार्य*

चूँकि अहिल्‍याबाई होळकर एक ऐसी महारानी के रूप में जाना जाता है, जिन्‍होंनें भारत के अलग अलग राज्‍यों में मानवता की भलाई के लिये अनेक कार्य किये थे। इसलिये भारत सरकार तथा विभिन्‍न राज्‍यों की सरकारों ने उनकी प्रतिमाएँ बनवायी हैं और उनके नाम से कई कल्‍याणकारी योजनाओं भी चलाया जा रहा है।

ऐसी ही एक योजना उत्तराखण्ड सरकार की ओर से भी चलाई जा रही है। जो अहिल्‍याबाई होळकर को पूर्णं सम्‍मान देती है। इस योजना का नाम ‘अहिल्‍याबाई होल्‍कर भेड़ बकरी विकास योजना है।

*महारानी अहिल्याबाई होल्कर का पंचतत्व में विलीन होना*

राज्य की चिन्ता का भार और उस पर प्राणों से भी प्यारे लोगों का वियोग। इस सारे शोक-भार को अहिल्याबाई का शरीर अधिक नहीं संभाल सका। और 13 अगस्त सन् 1795 को उनकी जीवन-लीला समाप्त हो गई। अहिल्याबाई के निधन के बाद महाराजा तुकोजी राव ने राज्य की शासन व्यवस्था को संभाला।

लोक माता अहिल्याबाई होलकर के विषय में विस्तृत रूप से मुख्य अतिथि के जी के द्वारा व्याख्यान दिया गया जिसमें सभी सहित जन अभियान परिषद की ब्लॉक समन्यक श्रीमती पुष्पा सिंह जी समाजसेवी में श्री सुनील सेन श्री प्रिंसदीप खटीक श्री गजेंद्र साहू श्री नरेंद्र प्रताप सिंह श्रीमती शिवानी लखेरा जी कृष्णकांत लखेरा जी की उपस्थिति रही कार्यक्रम के अंत में मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद की ब्लॉक समन्वयक पुष्पा सिंह जी एवं सभी समाजसेवी के द्वारा मुख्य अतिथि श्रीमती डॉक्टर शिवानी राय जी का आभार व्यक्त किया गया एवं कार्यक्रम का समापन किया गया।

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