राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस विजयादशमी के अवसर पर पोहरी में पथ संचलन का आयोजन हुआ
रिपोर्टर:- विशाल शर्मा
पोहरी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस विजयादशमी के अवसर पर पोहरी में पथ संचलन का आयोजन हुआ. प्रत्येक स्वयंसेवक कदम से कदम मिलाते हुए शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरे. वहीं, इस दौरान विभिन्न मोहल्लो मे हर घर से स्वयंसेवकों के पथ संचलन पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया.राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्सवों में से एक विजयादशमी को संघ अपने स्थापना दिवस के रूप में भी मनाता है. बही इसी क्रम में पहले शस्त्र पूजन हुआ, इसके बाद पथ संचलन किया गया. इस दौरान स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में कदम से कदम मिलाते हुए देश में एकता और अखंडता का संदेश देते दिखे. इससे पहले स्वयंसेवकों ने वर्ष भर चलने वाले शारीरिक कार्यक्रम दंड, योग, सूर्य नमस्कार, नियुद्ध और घोष का प्रदर्शन भी किया. कार्यक्रमों में संघ से जुड़े वरिष्ठ प्रचारक और कार्यकर्ताओं ने अपने संबोधन में आतंकवाद, उग्रवाद समेत अन्य देश विरोधी ताकतों से निपटने के लिए समाज को हमेशा तत्पर रहने का संदेश दिया. साथ ही शस्त्र पूजन का महत्व भी बताया.विजयदशमी के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने पथ संचलन किया। दो-दो की कतार में स्वयंसेवक हाथों में दंड लेकर शहर के मुख्य मार्गों से भारत माता का जयघोष करते हुए निकले। शहर में जगह-जगह लोगों ने पुष्प वर्षा कर स्वयं सेवकों का उत्साहवर्धन किया। पथ संचलन कॉलेज ग्राउंड से शुरू हुआ और इसके बाद यहां से किले के अंदर से जलमंदिर रोड होते ब्लॉक कलोनी और बस स्टेड से होते हुए कॉलेज ग्राउंड पंहुचा। इससे पहले कॉलेज ग्राउंड में शस्त्र पूजा भी की गई और बाद में पथ संचलन शुरू हुआ। हर साल की तरह इस बार भी विजयदशमी के मौके पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवकों ने पथ संचलन निकाला। आरएसएस के स्वयं सेवक सुबह से ही कॉलेज ग्राउंड परिसर में एकत्र हुए। जहां ध्वजारोहण और ध्वज वंदन हुआ। इसके बाद अमृत वचन, गीत और बौद्धिक सत्र के बाद पथ संचलन शुरू हुआ। आरएसएस के पथ संचलन का जगह-जगह विभिन्न सामाजिक संगठनों और लोगों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। पथ संचलन बाजार और किले के अंदर से बस्ती के विभिन्न मार्गों से होकर वापस कॉलेज ग्राउंड पर संपन्न हुआ। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना विजयदशमी के दिन हुई थी। संघ की स्थापना 27 सितंबर 1925 को की गई।
इस अवसर पर शस्त्र की पूजा की जाती है ताकि शक्ति अर्जित की जाए