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रेवा नदी के प्रति जागरूक नहीं है नगर परिषद, जन प्रतिनिधियों ने आंखें बंद कर रखी है।

रिपोर्ट गोवर्धन लाल माली

दंबग सम्राट पत्रकार

भानपुरा ___ नगर के समीप कल,कल करती हुई बहने वाली नदी, आज सुप्त अवस्था में है, यहा नदी पौराणिक समय से बहती है, यह नदी अरावली पर्वत श्रृंखला से बहती हुई, परमार कालीन क़िला जो इंद्र गढ़, के मैदानी क्षेत्र से बहकर नगर में प्रवेश करतीं हैं। इस नदी पर होलकर महाराज यशवंत राव जी कि विशालकाय छत्री निर्मित है,

इस नदी का आम नागारिक के लिए जीवनदायिनी है, इसका जल पेयजल आपूर्ति, किसानो के लिए सिंचाई में उपियोग किया जाता रहा है,

नगर परिषद् के जागरूक न होने के कारण इस नदी के दोनों ओर अतिक्रमण,कर रखा है, यह नदी नगर का मलबा, मिट्टी से भरीं जा रही है, इससे नदी का स्वरूप शनै शनै लुप्त हो रहा है,

कार्तिक शुक्ल में महिलाओं का समुह ब्रह्म मुहूर्त में इस नदी पर स्नान करने जाता रहा है, इस वर्ष नगर कि माताओं बहनों ने इस नदी पर स्नान करने का बहिष्कार कर रखा है ।

कारण यह नदी एक नाले में तब्दील हो गई है जिसकी गहराई करीबन दस फिट है , उसके अंदर पानी तीन फिट है , यहां तक कि नहाने के लिए घांटो का संचालन रखरखाव सही नहीं है,

जहां पर नहाने का स्थान है जहां पर कंटिले पोंधे झाड़ियों का बगिचा लगा हुआ है,

नगर परिषद, द्वारा पुल के निचे पानी रोकने के उपकरण लगादे तो इस नदी का स्वरूप कुछ हद तक सही सही हो सकता है,

इस नदी पर सनातन काल से, निर्मित, छत्री घांट, पंडा घांट, कचहरी घांट, राज घांट, नरसिहंग घांट, हाथी देह, नागरिया कुंड, गंगा माता मंदिर, ऐसे अनेक प्रकल्प संचालित थे, लेकिन आज इन सभी पर कुछ नागरिकों ने अपने स्वार्थ के लिए इनका शोषण कर रखा है,

यदि नगर परिषद, जनप्रतिनिधि अपनी आंखें खोल कर इनकी सही तरह से व्यवस्थित किया जाये तो नगरवासियों के लिए यह प्राकृतिक उपलब्धि एक निरोगी काया को बनाने में, सफल होगी,

उक्त जानकारी भानपुरा के नागरिक लालचंद वर्मा, रमेश कुमार मालवीय , मुकेश माली, भरत कुमार आदि ने मौखिक रूप से दी,

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