आखिर कौन था सम्राट पृथ्वीराज चौहान

रिपोर्ट दिग्विजय सिंह
खरगोन। भारत के महान शासकों में से एक सम्राट पृथ्वीराज चौहान “हिंदू धर्म” के शासक थे और ऐसा भी कहा जाता है कि वह अंतिम हिंदू शासक थे । वह हिंदू क्षत्रिय राजस्थान के अजमेर के राजा थे और विजय चौहान वंश के शासक थे। इनके पिता का का नाम सोमेश्वर चौहान था। इनकी माता का नाम कपूरी देवी था। पृथ्वीराज चौहान के पिता महाराज सोमेश्वर और उनकी रानी कपूरी देवी के विवाह के 12 वर्षों पश्चात काफी हवन, पूजा करने के बाद , पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1 जून 1166 को गुजरात राज्य के पाटन नगर में हुआ था। इनके जन्म के बाद से ही इनके मुर्त्यु के षड्यंत्र रचे जा रहे थे। पृथ्वीराज चौहान के पिता की सन् 1177 में एक युद्ध के दौरान 11 साल की उम्र मे ही मृत्यु हो गई थी ।इन के छोटे भाई का नाम हरीराज और छोटी बहन का नाम “पृथा” था।
सम्राट पृथ्वीराज चौहान को पहले पृथ्वीराज तृतीय कहा जाता था।
सम्राट पृथ्वीराज चौहान की शिक्षा व राजतिलक
शिक्षा व युद्ध की कला का ज्ञान
ऐसा कहा जाता है कि पृथ्वीराज चौहान जन्म से ही विभिन्न युद्ध कला में निपुण थे। बाल्यावस्था से उनका बड़ा वैभवपूर्ण वातावरण में पालन-पोषण हुआ था। पृथ्वीराज चौहान ने 5 वर्ष की आयु में ही अजयमेरू (जो कि वर्तमान में अजमेर ) में विग्रहराज द्वारा स्थापित सरस्वती कंटा भरण विद्यापीठ से शिक्षा प्राप्त की थी। इसी विद्यापीठ में उन्होंने शिक्षा के अलावा युद्ध कला और शस्त्र विद्या की शिक्षा अपनी गुरु “श्री राम” से प्राप्त की थी 6 भाषाओं में निपुण थे जैसे संस्कृत, प्राकृत, मागधी, पैशाची, शौरसेनी, और अपभ्रंश। पृथ्वीराज चौहान इन सभी छह भाषा के अलावा मीमांसा, गणित, पुराण, इतिहास, सैन्य विज्ञान और शिक्षा शास्त्र का भी ज्ञान था।
इतिहासकार में यह भी कहा गया है कि पृथ्वीराज चौहान को शब्दभेदी बाण चलाने अश्व हाथी, नियंत्रण विद्या, में भी निपुण थे जो कि उन्होंने अपने गुरु श्री राम से शिक्षा प्राप्त की थी।
पृथ्वीराज चौहान का राजतिलक
अजमेर राज्य में राजतिलक
पृथ्वीराज चौहान की 11 वर्ष की आयु में ही उनके पिता की मृत्यु के पश्चात गुजरात से राजस्थान के अजमेर चले गए जहां पर उन्होंने अपनी माता की उपस्थिति में अजमेर की सन् 1177 में राजगद्दी संभाली। और उनकी माता ने पृथ्वीराज चौहान के शासन, और मंत्री परिषद के गठन से लेकर कूटनीति और साम्राज्य के विस्तार तक करने में सहायता की ।
पृथ्वीराज चौहान का दिल्ली पर उत्तराधिकार
ऐसा कहा जाता है कि पृथ्वीराज चौहान की माता कपूरी देवी के पिता अगंपाल की इकलौती संतान थी। जिसके कारण उनके पिता के वंश में दिल्ली के शासक करने के लिए कोई उत्तराधिकारी नहीं था। तब इनकी माता कपूरी देवी के पिता अंगपाल तोमर के बीच पृथ्वीराज चौहान को दिल्ली का उत्तराधिकार बनाने की इच्छा प्रकट हुई और दोनों के बीच सहमति भी बनी और उसके बाद अंगपाल तोमर ने पृथ्वीराज चौहान को दिल्ली का उत्तराधिकार बनाने की घोषणा । और बाद में अंग पाल की मृत्यु के पश्चात पृथ्वीराज चौहान को दिल्ली का राजा बनाया गया।
इस तरह से सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने “अजमेर” और “दिल्ली” राज्य पर एक साथ शासन किया।