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तकनीशियन नहीं चला सकेंगे पैथोलॉजी लैब, दूसरे शहरों के विजिटिंग पैथोलॉजिस्ट भी नहीं चलेंगे

रिपोर्ट हरिओम यादव

छतरपुर// अब पैथोलॉजी लैब को केवल योग्य और पंजीकृत पैथोलॉजिस्ट ही चला सकेंगे और तकनीशियन इसके संचालन का अधिकार नहीं रखेंगे। साथ ही, दूसरे शहरों के विजिटिंग पैथोलॉजिस्ट द्वारा पैथोलॉजी लैब का संचालन भी नहीं हो सकेगा। इस नए नियम के अनुसार, पैथोलॉजी सेवाओं में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी। यह कदम पैथोलॉजी जांचों की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए उठाया गया है, ताकि मरीजों को सही निदान और उपचार मिल सके। तकनीशियन द्वारा पैथोलॉजी लैब चलाने के मामले में जांच और परिणामों की गुणवत्ता पर सवाल उठते थे, क्योंकि बिना विशेषज्ञता के लैब चलाने से गलत रिपोर्ट मिलने की आशंका रहती है।

*एमबीबीएस डॉक्टर नहीं चला सेकेंगे निजी लैब*

अब एमबीबीएस डॉक्टर निजी पैथोलॉजी लैब नहीं चला सकेंगे। यह नियम भारतीय चिकित्सा परिषद (रूष्टढ्ढ) और अन्य स्वास्थ्य नियामकों द्वारा लागू किया गया है, जिसका उद्देश्य पैथोलॉजी जांचों की गुणवत्ता और सटीकता को सुनिश्चित करना है। इसके तहत केवल योग्य और पंजीकृत पैथोलॉजिस्ट ही निजी पैथोलॉजी लैब का संचालन कर सकते हैं। एमबीबीएस डॉक्टरों को पैथोलॉजी और लैब संचालन के लिए आवश्यक विशेषज्ञता नहीं मानी जाती, क्योंकि पैथोलॉजी एक विशिष्ट शाखा है जो गहन अध्ययन और प्रशिक्षण की मांग करती है। इस नियम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि पैथोलॉजी लैब में की गई जांच और परीक्षण सही और सटीक हों, ताकि मरीजों को सही निदान और उपचार मिल सके। नए नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, और संबंधित लैब्स को बंद करने या भारी जुर्माना लगाने की चेतावनी दी गई है। यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और गुणवत्ता को सुधारने के लिए उठाया गया है।

*दूसरे शहर के पेथोलॉजिस्ट के नहीं चलेंगे अब हस्ताक्षर*

विजिटिंग पैथोलॉजिस्ट जो कि अन्य शहरों से केवल हस्ताक्षर करने या कुछ समय के लिए आते थे, उन्हें भी अब इस प्रक्रिया से हटा दिया गया है। इस फैसले का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर पैथोलॉजी लैब का संचालन उसी स्थान पर उपस्थित पूर्णकालिक पैथोलॉजिस्ट द्वारा ही किया जाए। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस निर्णय का पालन सुनिश्चित करने के लिए निगरानी और निरीक्षण बढ़ाए जाएंगे, और इसका उल्लंघन करने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

*गुणवत्तापूर्ण जांच नहीं मिल रही*

निजी अस्पतालों व क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेन्टस् का विनियमन मध्यप्रदेश उपचर्यागृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम, 1973 तथा नियम, 1997 (यथासंशोधित) 2021 अनुसार किया जाता है। उक्त नियम के नियम 17 “उपचर्यागृह की अपेक्षाएं” के अनुसूची दो (ण) अनुसार “यदि विकृति विज्ञान सुविधा तथा प्रयोगशाला सुविधा की व्यवस्थाएं की गई है तो एक रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी तथा तकनीशियन की सेवाएं उपलब्ध होने का लेख है । यह राज्य स्तर पर संज्ञान में आया है कि प्रदेश के कई पैथोलॉजी लैब व कलेक्शन सेंटर का संचालन केवल तकनीशियन द्वारा किया जाता है जिनमें प्रतिदिन पंजीकृत पैथोलॉजिस्ट द्वारा विजिट कर उचित परीक्षण नहीं किया जा रहा है। इससे आमजन को समुचित एवं गुणवत्तापूर्ण जांच रिपोर्ट उपलब्ध नहीं हो रही हो।

*जबलपुर हाईकोर्ट के हैं आदेश*

उल्लेखनीय है कि याचिका क्र. 3721/02 में उच्च न्यायालय मुख्यपीठ जबलपुर द्वारा पारित आदेश के तारतम्य में निजी पैथोलॉजी लैब के संचालन के संबंध में निर्देश दिए गए है। विजिटिंग पैथोलॉजिस्ट की भूमिका पर उच्च न्यायालय ने आदेश जारी किया है। निजी पैथोलॉजी लैब का संचालन केवल ऐसे पैथोलॉजिस्ट द्वारा सुनिश्चित की जाए जो मध्यप्रदेश आयुर्वेद परिषद अधिनियम, 1987 की धारा 13 एवं 24 की आवश्यकता को पूर्ण करते हों। किसी भी निजी प्रयोगशाला का संचालन केवल तकनीशियन द्वारा किए जाने की अनुमति नहीं है। प्रयोगशाला तकनीशियन केवल उसी प्रयोगशाला में कार्य कर सकता है जो वास्तव में योग्यताधारी पैथोलॉजिस्ट द्वारा स्वयं संचालित अथवा पर्यवेक्षित की जाती हो।

*पेथोलॉजिस्ट भी दो जगह ही दे सकेंगे सेवाएं*

योग्यताधारी निजी पैथोलॉजिस्ट स्वयं की प्रयोगशाला के अतिरिक्त केवल एक पैथोलॉजिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं इस शर्त में दें सकेंगे कि उक्त प्रयोगशाला में की उनकी सीधे सुपरवीजऩ में की गई हैं। उपरोक्त के संबंध में उदभूत किसी भी लीगल प्रकरण हेतु वे व्यक्तिगत रूप से जबावदेह होंगे ।

*15 दिन में मांगी रिपोर्ट*

प्रदेश के समस्त निजी पैथोलॉजिस्ट द्वारा स्वयं की प्रयोगशाला अथवा विजिटिंग पैथोलॉजिस्ट के रूप में जिस पैथोलॉजी प्रयोगशाला में उनके द्वारा सेवाएं दी जा रही हों की नामजद जानकारी एवं उपस्थिति समय संबंधी लिखित सूचना, आगामी 15 दिवस में जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को प्रस्तुत की जाए।

*इनका कहना है*

शासन से पत्र आया है। जानकारी जुटाकर शासन को भेजा जाएगा। निर्देशों के पालन के लिए निर्देश दिए जा रहे हैं। निगरानी और कार्रवाई भी की जाएगी।

डॉ. आरपी गुप्ता, सीएमएचओ

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