गुण की प्रमुख मंडी थी मुरादगंज, उूटों व घोडों से होता था व्यापार
रिपोर्टर सुवीर कुमार त्रिपाठी
औरैया व अजीतमल के मध्य का nh 19का प्रमुख कस्वा मुरादगंज 1950 के दशक
में गुड की मंडी के नाम से वि ख्यात था यहां का गुड कानपुर आगरा भिण्ड
ग्वालियर दूर दूर तक गुण वत्ता के लिये प्रसिदध था उसकी ख्याति के कारण
आज भी यहाँ लोग गुड खरीदने आते है कोहरे की भीषढ सर्दी हो और लकडी के कुढार
में गर्मा गरम गुड हो तो सर्दी का एहसास भी मीठा लगता है ऐसा ही नजारा
आजकल कस्वे से जुडे ग्रामीण क्षेत्रों में ताजे गुण की मिठास भरी खुशवू
राहगीरों को एक वार ठिठकनें को मजवूर कर देती है
इन दिनो गन्ना पिराई का समय कार्तिक पुनर्निमा से शुरू हो जाता है हाइवे के किनारे स्थित गांव हसुलिया ,चंदनागपुर ,
वाकरपुर करमपुर निगडा सेंगनपुटठा रोशगंपुर चौकी ततारपुर सहित कई गांवों
में पिराई का काम चल रहा है ग्राम सेंगनपुटठा निवासी गन्ना किसान राम
सिहं यादव स्वयम्वर सिहं यादव वताते है कि वह पिछले 15 वर्षो से गन्ना
का उत्पादन कर गुड वनाने का काम करते आ रहे है ऐसे मौसम में गुड खाने
वालों की संख्या वढ जाती है वे वताते है कि सर्दी से पूर्व कोल्हू पर
ताजा गुड 50 रू० किलो था किन्तु अव गुड के दाम भी 60 रू० हो गये है
किसान रामसेवक चौधरी गुड की महत्वता वताते है कि गुड सर्दियों में
अतिप्रिय मिठाई है इसकी तासीर गर्म होने के कारण सर्दियों में इसके
शौकीनों की संख्या वढ जाती है आयुर्वेदिक चिकित्सा मे भी पेट के विकारो
के नाश के लिये गुड का सेवन वताया गया है वुजुर्ग रामसनेही व दिवारी लाल 1950 दशकों की याद करते हुये वताते है कि गांव से कस्वा मुरादगंज
गुड आता था जहां आगरा भिण्ड कानपुर ग्वालियर के व्यापारी उूटों व
घोडों के माध्यम से व्यापार करते थे। इलाके डॉ देवेंद्र त्रिपाठी बताते हैं।चीनी की अपेझा गुड़ ज्यादा लाभकारी है ।इसके उपयोग करने से सुगर जैसी जान लेबा बीमारी से बचा जा सकता है।