जिला पंचायत बिलासपुर की सामान्य बैठक से मीडिया की रोक, जनहित के मुद्दों पर उठे गोपनीयता पर उठे सवाल
रिपोर्ट जे के मिश्र
बिलासपुर। जिला पंचायत बिलासपुर की सामान्य प्रशासन और सामान्य सभा की बैठक 20 नवंबर को आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण चौहान ने की। बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी संदीप अग्रवाल, सभी निर्वाचित सदस्य, विधायक, सांसद प्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे। हालांकि, बैठक के दौरान मीडिया की गैरमौजूदगी और उसे दूर रखने का फैसला चर्चा का विषय बन गया है।जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच आयोजित इस महत्त्वपूर्ण बैठक में जिले के विकास कार्यों और विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन पर चर्चा की जानी थी। पर सवाल यह उठ रहा है कि ऐसी कौन-सी गोपनीयता थी जिसके चलते मीडिया को बैठक से दूर रखा गया। अब तक इस तरह की बैठकों में मीडिया की मौजूदगी को हमेशा अहमियत दी जाती थी, ताकि जनहित के मुद्दों की जानकारी जनता तक पहुंच सके।
मीडिया पर रोक के पीछे क्या वजह?
प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायतों में से एक जिला पंचायत की सामान्य सभा को जिले का महापंचायत कहा जाता है। इस बार की बैठक में मीडिया की गैरमौजूदगी ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि कहीं पारदर्शिता की भावना को दबाने का प्रयास तो नहीं हो रहा? बैठक में पहुंचे जनप्रतिनिधि और अधिकारी जहां जनता के प्रतिनिधित्व की बात करते हैं, वहीं मीडिया की अनुपस्थिति ने उनके कामकाज की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जनता के मुद्दों की अनदेखी?
ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और समस्याओं पर चर्चा के लिए आयोजित इस बैठक में जिले की विकास योजनाओं और उनके क्रियान्वयन पर चर्चा होनी थी। परंतु, यह प्रश्न अनुत्तरित रह गया कि क्या इस बैठक में जनहित से जुड़े मुद्दों को सही मायनों में तवज्जो दी गई या फिर बैठक केवल औपचारिकता बनकर रह गई। बाहर खड़ी चमचमाती गाड़ियां ग्रामीण सड़कों की जर्जर हालत को छुपा नहीं सकतीं।
महापंचायत की पारदर्शिता पर सवाल
पहले के कार्यकालों में ऐसी बैठकों में मीडिया को न केवल शामिल किया गया, बल्कि उनकी उपस्थिति को भी जनहित का माध्यम माना गया। इस बार मीडिया को बाहर रखकर क्या जिला पंचायत जनहित के मुद्दों को पटल पर लाने से बचने की कोशिश कर रही है? ऐसे में सवाल उठता है कि इस महापंचायत में लिए गए फैसले क्या वाकई जनता के हित में होंगे, या उनकी चर्चा यहीं खत्म हो जाएगी।
जवाबदेही तय होनी चाहिए
बैठक के दौरान जनहित से जुड़े गंभीर मुद्दों पर चर्चा तो हुई, लेकिन इसे जनता तक पहुंचाने का माध्यम, यानी मीडिया को बाहर रखकर पारदर्शिता का सवाल खड़ा हो गया है। अब यह देखना होगा कि क्या इस महापंचायत में उठाए गए मुद्दों पर वाकई कोई ठोस कार्यवाही होती है या ये केवल कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं।