बांग्लादेश में हिंदुओं के धार्मिक सामाजिक और मानवाधिकार के निरंतर उल्लंघन के संदर्भ में आवश्यक हस्तक्षेप हेतु ज्ञापन

रिपोर्टर लाला लाजपत प्रजापति
*मनेंद्रगढ़*- जिला एम.सी.बी.हम सनातनी एक मंच की ओर से बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों और हमारे सम्मानित आध्यात्मिक नेता चिन्मय प्रभु की अवैध हिरासत के विरोध में यह ज्ञापन प्रस्तुत कर रहे हैं हाल ही में आयोजित चलो बांग्लादेश आंदोलन जो असम के करीमगंज से आरंभ होकर सूत्र कंडी बॉर्डर तक पहुंचा इस बात का प्रमाण है कि भारत के लोग बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रहे अत्याचार के प्रति गहरी चिंता और आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं
हिंदुओं की प्रमुख मुद्दे एवं मांगे हैं
चिन्मय प्रभु के बिना शर्त रिहाई चीन में प्रभु जो भारत और बांग्लादेश दोनों ही देश में लाखों लोगों के आध्यात्मिक मार्गदर्शन हैं की गिरफ्तारी मानव अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता का गंभीरता का उल्लंघन है उनके पीछे कोई वैध कारण नहीं है और यह ना उनके अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है बल्कि यह न्याय और मानवता के सिद्धांत पर भी प्रहार है हम भारत सरकार से विनम्र अनुरोध करते हैं कि वह बांग्लादेश सरकार पर कूटनीतिक दबाव बनाए ताकि चिन्मय प्रभु को अभिलंब रिहा किया जाए उनकी रिहाई न केवल एक धार्मिक नेता की आजादी होगी बल्कि या मानव अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्धता का भी प्रतीक होगा
*बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा एवं रोकथाम*
पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों को खिलाफ हिंसा ल पाठ बलात्कार हत्या और जागरण धर्म परिवर्तन जैसे घटना चिंताजनक रूप से बढ़ी है विशेष कर सकता पलट के बाद यह हिंसा और भी अधिक गंभीर हो गई है
*मंदिरों का विध्वंस*
ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के हिंदू मंदिरों को तोड़ा जा रहा है जिससे न केवल हमारी धार्मिक धरोहर को हानि पहुंच रही है बल्कि यह हिंदू समुदाय की आत्मा पर भी आघात है
*लूटपाट औरविस्थापन*
हिंदू परिवारों की संपत्तियों को लूटकर उन्हें उनके घरों से बेदखल किया जा रहा है यह परिवार आज विस्थापन गरीबी और सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहे हैं
*महिलाओं और बच्चियों परअत्याचार*
हिंदू महिलाओं और बच्चियों को विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है उनके साथ यौन शोषण, जबरन धर्म परिवर्तन जैसे अपराध बढ़ गएहैं
*हम हिंदू की प्रमुख मांगे हैं*
1. हिंदू सहित अल्पसंख्यकों की सुरक्षा बांग्लादेश सरकार से यह सुनिश्चित कराया जाए कि हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा धार्मिक स्वतंत्रता और उनके नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए कोई ठोस कदमउठाएं
2. मंदिरों का संरक्षण
बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों पूजा स्थल और धार्मिक ग्रंथो की रक्षा सुनिश्चित की जाए और इन्हें अंतरराष्ट्रीय धरोहर के रूप में मान्यता दी जाए
3. विस्थापित परिवारों का पुनर्वास एवंसम्मान
जिन हिंदू परिवारों को उनकी जमीन और घरों से बेदखल किया गया है उन्हें उनके मूल स्थान पर पुनर्स्थापित किया जाए और उनकी संपत्तियों को वापस दिलाया जाए
4. अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप
भारत सरकार इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार आयोग, और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाए ताकि हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा हो सके
*संकल्प*
हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि यदि हमारी मांगों को समय रहते पूरा नहीं किया गया तो सनातन एक के मंच इस आंदोलन को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जारी रखेगा हमारा उद्देश्य किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं है बल्कि यह एक अहिंसा आत्मक आंदोलन है जो मानवता और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए समर्पित है
*निष्कर्ष*
माननीय राष्ट्रपति महोदय यह समय है जब भारत अपने पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अन्याय के विरुद्ध खड़ा हो हमारा देश सदैव से मानवता और न्याय का पक्षधर रहा है हम आपसे अनुरोध करते हैं कि इस ज्ञापन को विज्ञान में लेकर आवश्यक कदम उठाए ताकि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय को सुरक्षा और न्याय मिल सके