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नागदा से रतलाम, मेघनगर,दाहोद,गोधरा तक कवच सिस्टम पूरा, लोको ट्रायल भी सफल

रिपोर्टर मोहम्मद अय्युब शीशगर

*इंदौर/भोपाल/रतलाम* दिल्ली-मुंबई राजधानी रूट का रतलाम मंडल के दायरे में आने वाले नागदा से रतलाम,मेघनगर,गोधरा तक 224 किमी में कवच सिस्टम इंस्टाल हो गया है। सभी सेक्शनों का लोको से सफल ट्रायल भी हो चुका है। अब सॉफ्टवेयर वेरिफिकेशन चल रहा है। यह काम निपटते ही कवच सिस्टम फंक्शनल हो जाएगा। यह एक ही ट्रैक पर आमने-सामने आ रही ट्रेनों का पता करके ऑटोमैटिक ब्रेक लगाकर ट्रेनों को रोक देगा। शुक्रवार को रतलाम-दाहोद सेक्शन के बजरंगगढ़ से बोरड़ी स्टेशन तक कवच सिस्टम के 4.0 वर्शन का ट्रायल हुआ। इसमें मंडल रेल प्रबंधक रजनीश कुमार ने खुद 37 किमी लंबे सेक्शन के अप-डाउन ट्रैक में कवच सिस्टम लगा इंजन चलाकर देखा। यह ट्रायल भी सफल रहा। इसके पहले अक्टूबर में रेलवे ने 15.9 किमी लंबे कासुंधी-संत रोड सेक्शन में कवच का ट्रायल किया था।

*ट्रायल करने के दौरान सर्किट से बनाई टक्कर जैसी स्थिति और रुक गया ट्रेन का इंजन*

इस दौरान सर्किट के माध्यम से ट्रेनों की आमने-सामने टक्कर होने जैसी कंडीशन बनाई गई। ट्रायल में कवच सिस्टम ने इसे पकड़ लिया और डीआरएम वाला इंजन खुद ब खुद रुक गया। इसके अलावा ओवर स्पीड चेक, लाल सिग्नल क्रॉस करने पर ऑटोमैटिक ब्रेक आदि की भी चेकिंग की गई। डीआरएम रजनीश कुमार के अनुसार रतलाम-नागदा सेक्शन में पहले ही कवच लग चुका था। अब रतलाम-गोधरा सेक्शन का काम भी पूरा हो गया है। सभी परीक्षण सफल रहे हैं। अब सॉफ्टवेयर का वेरिफिकेशन चल रहा है।

*इंजन में वडोदरा में लग रहे उपकरण* कवच सिस्टम के उपकरण स्टेशनों, ट्रैक के अलावा इंजन में भी लगाए जा रहे हैं। पश्चिम रेलवे जोन के अब तक 90 इलेक्ट्रिक इंजन में उपकरण लगाए जा चुके हैं। यह काम वडोदरा डिवीजन में किया जा रहा है। देश में फिलहाल दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा रूट पर कवच सिस्टम लगाया जा रहा है। इसमें भी लगभग 1386 किमी लंबे दिल्ली-मुंबई रूट में से 789 किमी का हिस्सा पश्चिम रेलवे का है। इसमें से 580 किमी से ज्यादा में कवच सिस्टम इंस्टाल कर लिया गया है। उधर, दिल्ली-मुंबई रूट में दिल्ली-मथुरा 162 किमी, मथुरा-नागदा 545 किमी और गोधरा-मुंबई 455 लंबे में सिस्टम के उपकरण लगाने का काम तेजी से चल रहा है। यह रफ्तार बनी रही तो 2025 में दिल्ली-मुंबई रूट पर ट्रेनें कवच सिस्टम की सुरक्षा में चलने लगेंगी।

*ऐसी है टक्कर रोधी स्वचालित प्रणाली कवच-* ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन तकनीकी नाम वाले कवच सिस्टम को रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ने बनाया है। इसमें इंजन में माइक्रो प्रोसेसर, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लगाए जाते हैं। इन्हें रेडियो संचार के माध्यम से सिग्नल सिस्टम और कंट्रोल टावर से कनेक्ट किया जाता है। पूरा सिस्टम एक्टिव होने पर दो ट्रेनों के आमने-सामने आने पर यह सिस्टम खुद ही ट्रेन को रोक देता है।

*भोपाल से शादियों के सीजन से लेकर कुंभ तक ट्रेनें फुल, केवल शताब्दी-वंदे भारत में जगह*

10 दिसंबर और उसके बाद 14 जनवरी से शुरू होने वाले शादी-विवाह के सीजन और जनवरी अंत में प्रयागराज कुंभ के चलते ट्रेनों में अभी से वेटिंग मिलने लगी है। खासतौर पर लंबी दूरी की ट्रेनों में वेटिंग शुरू हो चुकी है। शताब्दी और वंदे भारत जरूर ऐसी ट्रेनें हैं, जिनमें दिल्ली तरफ आवागमन करने के लिए पर्याप्त संख्या में सीटें उपलब्ध हैं। जिन ट्रेनों में विवाह सीजन और कुंभ के लिए सीटें बची हैं, उनकी संख्या काफी कम है। सीनियर डीसीएम सौरभ कटारिया का कहना है कि लगातार स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। कुंभ के लिए भी अलग से कुछ गाड़ियां चलाने का प्रस्ताव है।

*इनमें सीटें उपलब्धः*

शताब्दी कुंभ के और वंदे भारत में दिसंबर और जनवरी में 300 से 400 के बीच सीटें चेयरकार श्रेणी में हर दिन उपलब्ध हैं। हालांकि इनका किराया अन्य ट्रेनों के3 मुकाबले डेढ़ से दो गुना तक लग रहा है। इनके अलावा अमृतसर, कुशीनगर सहित वर्तमान में चलाई जा रही कुछ स्पेशल ट्रेनों में भी फिलहाल दिसंबर अंत तक बर्थ उपलब्ध हैं।

*कुंभ के लिए स्पेशल ट्रेन*

हालांकि रेल अधिकारियों का दावा है कि प्रयागराज कुंभके लिए भोपाल मंडल सहित पश्चिम-मध्य रेल जोन के जबलपुर मंडल से एक-एक स्पेशल ट्रेन चलाए जाने की उम्मीद है। निशातपुरा स्थित कोच फैक्ट्री में 50 कोच का निर्माण कुंभ स्पेशल ट्रेनों के लिए चल रहा है।

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