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श्रद्धा और सत्कार के साथ मनाया गुरु तेग बहादुरजी का शहीदी दिवस

रिपोर्ट  कृष्णा राव

गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा में सजाए गए विशेष कीर्तन दीवान

बैतूल। सिक्ख धर्म के 9वें गुरु गुरु तेग बहादुरजी का शहीदी दिवस गुरु घर में बड़ी श्रद्धा और सत्कार के साथ मनाया गया। सुबह संगत द्वारा रखे गए श्रीसहेज पाठ की समाप्ति गुरु तेग बहादुरजी के नवे महले के श्लोक पढ़कर की गई। फिर गुरु घर के वजीर भाई गुरप्रीत सिंघ द्वारा समूह मानवता के भले के लिए अरदास की गई। शाम को विशेष कीर्तन दीवान सजाए गए जिसमे गुरुघर के वजीर भाई गुरप्रीत सिंघ द्वारा गुरु तेग बहादुर साहेब के शबद कीर्तन द्वारा समूह संगत को निहाल किया गया। रात 8 बजे गुरु का लंगर बरताया गया जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। जानकारी के अनुसार गुरु तेग बहादुर का जन्म वैशाख माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। तेग बहादुरजी के बचपन का नाम त्यागमल था, उनके पिता का नाम गुरु हरगोबिंद सिंह था। गुरु तेग बहादुर साहब हर गोविंद के पांचवे पुत्र थे और सिखों के आठवे गुरु हरकिशन साहेब के निधन के बाद उनको गुरु बनाया गया। उन्होंने आनंदपुर साहिब का निर्माण किया और वहां रहने लगे। गुरु तेग बहादुर बचपन से ही निडर थे। मात्र 14 वर्ष की उम्र की आयु में पिता के साथ उन्होंने मुगल के खिलाफ युद्ध में अपनी वीरता का परिचय दिया। गुरु तेग बहादुर बचपन से ही निडर थे। उनकी वीरता से प्रभावित होकर ही उनके पिता ने उनका नाम तेग बहादुर रखा था और एक तलवार भेंट की थी। जब कश्मीरी पंडितों को औरंगजेब जबरदस्ती इस्लाम धर्म अपनाने के लिए जुर्म कर रहा था तब उन लोगों ने गुरु तेग बहादुर महाराज की शरण ली। तब गुरु तेग बहादुर महाराज ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए औरंगज़ेब के जुर्म के खिलाफ आवाज उठाई और कहा कि अगर आप मेरा यदि धर्म परिवर्तन कर लोगे तो सारे हिंदू भी इस्लाम धर्म अपना लेंगे और इस तरह उन्होंने औरंगज़ेब के आगे घुटने नहीं ठेके और अपने प्राणों की हिंदू धर्म की रक्षा के लिए आहुति दी, इसलिए उन्हें हिंद की चादर भी कहा जाता है। आज समूह भारतवर्ष में गुरु तेग बहादुर महाराज का शहीदी दिवस बड़ी श्रद्धा और सत्कार के साथ मनाया जा रहा है।

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