बुधगाँव के हनुमान मंदिर पर लगे सेंबल का पेड़ पर बन रही आश्चर्य चकित आकृतियां

रिपोर्टर अविचल राजा शर्मा
निवाली – निवाली तहसील का गाँव बुधगाँव इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। बताया जाता है कि सेंधवा खेतिया मार्ग पर बसा यह छोटा सा गांव जहाँ की आबादी मात्र 700 की होकर एक पुरातन क्षेत्र है। यह गाँव बौद्धकालीन बसा हुआ है। जहाँ खेतों पर …… खेतों की मेड़ पुरातन की मूर्तियां समाई हुईं लगती है । कई खेतों में काली मिट्टी की जगह सफेद मिट्टी है वही एक पुराना प्राचीन गज केसरी हनुमान मंदिर जहाँ हनुमान जी की प्रतिमा दक्षिण मुखी होकर स्वयं भू है। बताया जाता है कि उत्तराखण्ड से पधारे दो दशक पूर्व संत कैलाश निरी जो कि यहां हनुमान जी की सेवादार के रूप में अपनी सेवा दे रहे थे।उन्हें हर समय स्वप्न में पुरातन शिवलिंग पुरानी बावड़ी नजर आती थी, किन्तु रोड़ किनारे मंदिर होने एवं रोड़ के नीचे शिवलिंग होने के कारण खुदाई नहीं करवा सकें। समीप ही एक जगह खुदाई कार्य हुआ तो वहां पर पुरातन बावड़ी एवं अवशेष प्रतिमा निकली, किन्तु अगली खुदवाई किसी कारणवश नहीं हो पाई। उतना ही नहीं इस मंदिर जहाँ स्वयं भू हनुमान जी की प्रतिमा एक पेड़ के नीचे है। उस पेड़ पर प्रतिवर्ष नाग-नागिन की आकृति वर्षा ऋतु के बाद बनती है और दिपावली के बाद आने वाली नाग दिवाली तक नजर आती है धीरे धीरे आकृति अपने आप कम होते होते चली जाती है विगत 2 वर्षों से इसी पेड़ पर शेषनाग का फनरूपी एक आकृति और बन गई। जिसे ग्रामीण बड़े आश्चर्य से देखकर अचम्भीत हो रहे है। आखिर इस आकृक्ति का रहस्य क्या है? कोई नहीं जानता मगर यह सत्य है कि यह क्षेत्र पुरातन बौद्धकलीन होकर अद्भुत रहस्य का केन्द्र बना हुआ है। जो इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है।
सामाजिक कार्यकर्ता राजा शर्मा ने पुरातन विभाग को पत्र लिखकर इस क्षेत्र की प्राचीन प्रतिमाओं को एकत्रित कर यहां एक संग्रहालय बनाया जाय एवं इस क्षेत्र में होने वाले आश्चर्य चकित रहस्य की जॉचकर क्षेत्र की जनता को प्रकृति में होने वाली ऐसी आश्चर्य जनक परिस्थितियों पर क्षेत्र की जनता को समझाईस दी जाये ताकि यह क्षेत्र अपने आप इस पुरातन सम्पदा को संरक्षित कर पुरातन विभाग के कार्य में सहयोगी रूप में खड़ा हो सके। गजकेसरी हनुमान मंदिर के सेवादार कमल भाई ने बताया कि यह मंदिर अति प्राचीन है और यह संपूर्ण क्षेत्र पुरातन से जुड़ा हुआ लगता है यहां अधिकांश खेतों की मेड़ों पर प्राचीन मूर्तियां मिलती है, वही यहां कई आश्चर्यजनक घटनाएं दर्शनार्थियों के साथ होती रहती है कई नर्मदा परिक्रमावासियों से यह बात यहां पर रुकने पर उनके द्वारा आपबीती बताई जाती है।