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नर्मदा पर्यावरण पंजकोसी यात्रा : अमरकंटक से गुजरात के भरूच तक चलेगी यात्रा

रिपोर्ट दिग्विजय सिंह

खरगोन। प्रदेश की जीवनदायिनी मा नर्मदा को प्रदुषण से बचाने के लिए नर्मदा समग्र संस्थान ने पर्यावरण पंजकोसी यात्रा शुरू कि है। यह यात्रा अमरकंटक से शुरु होकर गुजरात के भरूच तक चलेगी। इस दौरान युवा और विधार्थियों को जोडा है। वे नर्मदा किनारे तीर्थ यात्रियों और आसपास बसे गांवों मे लोगों तक स्वच्छता की जागरूकता फैला रहे है। चौपाल पर नदियों और पर्यावरण के संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है। धार्मिक यात्रा के साथ उन्हें नर्मदा की शुध्दता कि शपथ भी दिलाई जा रही हैं। नर्मदा समग्र संस्थान के समन्वयक मनोज जोशी ने बताया की नर्मदा के किनारे बेहतर पर्यावरण के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस दौरान इसमे हर वर्ग के लोगो को जोडा जा रहा है। जिसमे खासकर युवा और विधार्थी ग्रामीणों से चौपाल के माध्यम से संवाद कर रहे है। युवा और छात्र छात्राओं ने यात्रा के जरिए एक संकल्प भी लिया है। हम जीवन मे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर से पर्यावरण और जीवनदायिनी नदियों को प्रदुषण मुक्त रखने के लिए प्रयासरत रहेंगे। इसी के साथ मण्डलेश्वर मे नर्मदा किनारे फैली गंदगी और प्लास्टिक कचरे को साफ किया।

*नर्मदा किनारे मठ और मन्दिरों का इतिहास जाना*

पर्यावरण पंजकोसी यात्रा में जेआइटी बोरावां के राष्ट्रीय सेवा योजना के 50 से अधिक विधार्थी शामिल हुए। उन्होंने नर्मदा किनारे पुरातन मठ मंदिरों को सूचिबद्ध किया। विधार्थियों ने रेवा पंचकुटी सहस्रधारा पर वैल्लुर मठ ( विवेकानंद केंद्र ) के स्वामी मातेश्वरजी से मा नर्मदा का पौराणिक महत्व जाना।

*4 दल ने 50 किमी. पदयात्रा की*

प्राचार्य डॉ. अतुल उपाध्याय , डीन डॉ. सुनिल सुगंधी ने बताया की 4 दलो ने एक दिन 50 किमी. नर्मदा पर्यावरण जागरूकता यात्रा में हिस्सा लिया। जिसमे पहला दल सहस्रधारा से महेश्वर किला होकर मण्डलेश्वर आया। दुसरा दल मण्डलेश्वर से पथराड , तीसरा दल पथराड से भामपुरा तक व चौथे दल ने माकड़खेड़ा से शालिवाहन मंदिर तक पैदल यात्रा की। यात्रा में उनके साथ पुष्पेंद्र नामदेव , इशिता वर्मा मौजूद रहें।

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