राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का हुआ समापन धारणीय विकास एवं पर्यावरणीय चुनौतियों से जुड़े विविध विषयों पर हुआ वैचारिक मंथन

रिपोर्ट दिग्विजय सिंह
खरगोन। पीजी कॉलेज खरगोन में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के द्वितीय दिवस पर तकनीकी सत्र में शोधार्थियों द्वारा शोध पत्रों के वाचन उपरांत समापन समारोह आयोजित किया गया। प्राचार्य डॉ. आरएस देवड़ा द्वारा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. सुप्रज्ञठाकुर एसोसिएट प्रोफेसर भौतिकी श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर एवं विशेष अतिथि डॉ. एसएस पाटीदार, सेवानिवृत्त जीएम, ओएनजीसी का स्वागत कर परिचय कराया। डॉ. एसएस पाटीदार ने अपने उद्बोधन में ओएनजीसी जो कि भारत का एनर्जी सोल्जर है, में कार्य के दौरान पर्यावरणीय चुनौतियों एवं उसके समाधान के लिए किए गए प्रयासों के बारे में जानकारी साझा की। प्रदूषण नियंत्रण करने वाली विभिन्न संस्थाओं के बारे में भी विस्तार से चर्चा की। डॉ. सुप्रज्ञठाकुर एसोसिएट प्रोफेसर भौतिकी श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर ने पीपीटी के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों का अधिकतम उपयोग कैसे करें इस पर प्रकाश डाला। डॉ. ठाकुर ने पर्यावरणीय क्षति को कम से कम करने लिए उपायों को सुझाते हुए बताया कि जीवाश्म ईंधन का उपयोग संतुलित करना, प्लास्टिक का यथासम्भव उपयोग कम किया जाना तथा प्राकृतिक संसाधनों का उचित तरीके से उपयोग करना हमारे सतत विकास के लक्षो को प्राप्त करने में मिल का पत्थर साबित होंगे। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए श्री दीपक कानूनगो जनभागीदारी अध्यक्ष ने कहा की प्रकृति द्वारा प्रदत्त संसाधनों का प्रयोग ऐसे किया जाना चाहिए कि वे दूषित ना हो। संगोष्ठी सचिव प्रो. जैनुल जिलानी ने संगोष्ठी का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि संगोष्ठी में 180 रजिस्ट्रेशन हुए तथा कुल 65 शोध पत्र प्राप्त हुए जिसमें से दोनों तकनीकी सत्रों में 32 शोध पत्रों का वाचन किया गया। समापन समारोह में जनभागीदारी समिति सदस्य,पत्रकारगण, महाविद्यालयीन स्टाफ व अन्य महाविद्यालय से पधारे प्राध्यापक, शोधार्थी तथा अन्य विद्यार्थी उपस्थित रहे।