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निक्कियां जिंदां, वड्डा साका” गुरु गोविंद सिंग जी के पुत्रो साहिबजादा फतेह सिंह एवं साहिबजादा जोरावर सिंह के शहादत पर सिख्ख संप्रदाय द्वारा प्रभात फेरी कर उनकी शहादत को किया याद

रिपोर्ट  डॉ. आनंद दीक्षित

सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल के साथ संयोजक रविंद्र खरबंदा हुए शामिल

बुरहानपुर। आज 26 दिसंबर को गुरु गोविंद सिंग जी के पुत्रो साहिबजादा फतेह सिंह एवं साहिबजादा जोरावर सिंह के शहादत पर द्वितीय वीर बाल दिवस के अवसर पर सिख्ख संप्रदाय द्वारा प्रभात फेरी कर उनकी शहादत को याद किया गया।

देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भारत सरकार के माध्यम से उक्त इतिहास को आमजन तक पहुँचाने का जो प्रयास किया है वह अतुलनीय है।

आज सांसद श्री ज्ञानेश्वर पाटील जी के साथ प्रभात फेरी में सिख्ख समुदाय उपस्थित हुआ तथा हिंदू धर्म की रक्षा हेतु शहीद हुए गुरु गोबिंद सिंह जी के चारों पुत्रों को नमन किया।

आपको बता दे साहिबज़ादे शब्द का प्रयोग सिखों के दशम गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के चार सुपुत्रों – साहिबज़ादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, ज़ोरावर सिंह, व फतेह सिंह को सामूहिक रूप से संबोधित करने हेतु किया जाता है।

छोटे साहिबजादे

“निक्कियां जिंदां, वड्डा साका”…. गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों की शहादत को जब भी याद किया जाता है तो सिख संगत के मुख से यह लफ्ज़ ही बयां होते हैं। सरसा नदी पर जब गुरु गोबिंद सिंह जी परिवार जुदा हो रहे थे, तो एक ओर जहां बड़े साहिबजादे गुरु जी के साथ चले गए, वहीं दूसरी ओर छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह, माता गुजरी जी के साथ रह गए थे। उनके साथ ना कोई सैनिक था और ना ही कोई उम्मीद थी जिसके सहारे वे परिवार से वापस मिल सकते।

गंगू नौकर

वजीर खां ने दोनों साहिबजादों को काफी डराया, धमकाया और प्यार से भी इस्लाम कबूल करने के लिए राज़ी करना चाहा, लेकिन दोनों अपने निर्णय पर अटल थे।

शहादत का फैसला

आखिर में दोनों साहिबजादों को जिंदा दीवारों में चुनवाने का ऐलान किया गया। कहते हैं दोनों साहिबजादों को जब दीवार में चुनना आरंभ किया गया तब उन्होंने ‘जपुजी साहिब’ का पाठ करना शुरू कर दिया और दीवार पूरी होने के बाद अंदर से जयकारा लगाने की आवाज़ भी आई।

मुगलों का कहर

ऐसा कहा जाता है कि वजीर खां के कहने पर दीवार को कुछ समय के बाद तोड़ा गया, यह देखने के लिए कि साहिबजादे अभी जिंदा हैं या नहीं। तब दोनों साहिबजादों के कुछ श्वास अभी बाकी थे, लेकिन मुगल मुलाजिमों का कहर अभी भी जिंदा था। उन्होंने दोनों साहिबजादों को जबर्दस्ती मौत के गले लगा दिया।

माता गुजरी जी का निधन

उधर दूसरी ओर साहिबजादों की शहीदी की खबर सुनकर माता गुजरी जी ने अकाल पुरख को इस गर्वमयी शहादत के लिए शुक्रिया किया।

इस अवसर पर भाजपा के महामंत्री मनोज माने, किशोर शाह, जगदीश कपूर , ईश्वर चौहान, मनोज टंडन,अनिल वानखेड़े, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनमोहन सिंह बिंद्रा , इंदर सिंह चावला,रुपिंदर सिंह कीर, मनिंदर सिंह चावला, एवं मातृशक्ति उपस्थित थी, कार्यक्रम के संयोजक रविंद्र सिंह खरबंदा जी थे।

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