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क्या जांच टीम ने लीपापोती की? शराब दुकानों पर जांच, लेकिन हकीकत से क्यों मुंह मोड़ा?

रिपोर्ट ओम साहू

जगदलपुर जिले में शराब दुकानों पर ओवर रेटिंग और फर्जी बिलिंग को लेकर बढ़ती शिकायतों के बाद कलेक्टर हरीश एस के निर्देश पर अपर कलेक्टर सीपी बघेल की अगुवाई में आबकारी विभाग और प्रशासन की संयुक्त टीम ने जांच की। जांच के बाद आई रिपोर्ट में दावा किया गया कि शराब दुकानों में सबकुछ सही पाया गया—MRP से अधिक दर पर बिक्री नहीं हुई, फर्जी बिल नहीं दिए गए और सीसीटीवी फुटेज में कोई गड़बड़ी नहीं मिली।

लेकिन सवाल यह है कि जब मीडिया के स्टिंग ऑपरेशन में ओवर रेटिंग और बिल में हेरफेर के प्रमाण मिले, तो जांच टीम को यह सब क्यों नहीं दिखा?

क्या यह जांच की लीपापोती है?

➡ क्या जांच टीम ने उन ग्राहकों से बात की, जिन्होंने खुद अधिक कीमत चुकाई?

➡ क्या मीडिया द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन को भी जांच का हिस्सा बनाया गया?

➡ क्या ग्राहकों से गुप्त रूप से पूछताछ की गई या सिर्फ औपचारिकता निभाई गई?

शराब दुकान के कर्मचारियों पर आरोप है कि वे MRP से अधिक पैसे वसूलते हैं और बिल मांगने पर फर्जी बिल थमा देते हैं।

23 फरवरी 2025, दोपहर 2:56 PM, हमारे सूत्रों ने केवड़ामुंडा चांदनी चौक स्थित शराब दुकान से बीयर खरीदी।

सिंबा प्राइड सीरीज स्ट्रांग 650ml बीयर की MRP ₹220 थी, लेकिन ₹250 लिए गए।

बिल मांगने पर “सिंबा जंगल 650ml” का बिल थमा दिया गया, जो कि खरीदी गई बीयर से अलग था।

जब सेल्समैन से पूछा गया कि अधिक पैसे क्यों लिए, तो जवाब मिला – “रेट बढ़ गया है!”

जबकि बोतल पर स्पष्ट रूप से ₹220 MRP अंकित था।

अब जांच रिपोर्ट में दावा किया गया कि सबकुछ सही है, तो फिर स्टिंग ऑपरेशन में गड़बड़ी क्यों उजागर हुई?

सीसीटीवी फुटेज ही सबकुछ नहीं होता!

जांच रिपोर्ट में कहा गया कि सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई और सबकुछ सही पाया गया।

लेकिन सवाल उठता है कि क्या कैमरे के सामने ही गड़बड़ी होती है?

अगर कोई गड़बड़ी नहीं हो रही, तो जिला प्रशासन को सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करनी चाहिए।

शराब दुकान पर 23 फरवरी को दोपहर 2:56 बजे का फुटेज जारी किया जाए—तब सच्चाई खुद-ब-खुद सामने आ जाएगी।-

क्या भाजपा सरकार भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करेगी?

छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार सुशासन और भ्रष्टाचार-मुक्त प्रशासन का दावा करती है, लेकिन इस मामले में यदि दोषी अधिकारियों, ठेका कंपनी के सेल्समैन और सुपरवाइजर पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, तो जनता का सरकार और प्रशासन से भरोसा उठ जाएगा।

अब देखना यह होगा कि:

1. जिला कलेक्टर इस घोटाले पर क्या कार्रवाई करेंगे?

2. आबकारी विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों पर क्या सख्त कदम उठाए जाएंगे?

3. क्या सरकार सच में सुशासन लागू कर पाएगी या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?

जनता के सवाल:

अगर MRP ₹220 है, तो दुकानदार ₹250 क्यों वसूल रहे हैं?

बिल मांगने पर फर्जी बिल क्यों दिया जा रहा है?

आबकारी निरीक्षक खुद मामले पर जवाब देने से क्यों भाग रहे हैं?

जांच टीम हर बार सबकुछ सही दिखाने की कोशिश क्यों कर रही है?

क्या भाजपा सरकार भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करेगी या फिर जनता को लुटने दिया जाएगा?

कौन कर पाएगा कार्यवाही?

अब जिम्मेदारी जिला प्रशासन की—सीसीटीवी फुटेज देखकर कार्रवाई करें!

अगर आबकारी विभाग और जिला प्रशासन सच में ईमानदार हैं, तो उन्हें सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करके सच्चाई दिखानी चाहिए।

अगर कार्रवाई नहीं होती, तो यह साफ हो जाएगा कि शराब दुकानों में हो रही लूट के पीछे बड़े अधिकारियों की मिलीभगत है!

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