ओवरलोडिंग की शिकायत के इंतजार में परिवहन विभाग सिवनी

पत्रकार प्रीतम सिंह राजपूत
सिवनी जिले के लखनादौन में परिवहन व्यवस्था में किसी नियम का पालन होता दिखाई नहीं देता. यहां लगातार ऑटो, बसों कमांडर से लेकर ट्रेक्टरों तक में लोग सफर करते है.
सिवनी।जिले की लचार परिवहन व्यवस्था के कारण स्थानीय लोगों को जान जोखिम में डालकर मौत का सफर करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. वही वाहन संचालकों पर परिवहन विभाग की सख्ती दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ रही है. कहने को तो परिवहन विभाग और यातायात विभाग द्वारा समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं पर मैदानी हकीकत कुछ और नजर आती है. जहां वाहन संचालक अपनी मनमर्जी करते दिखाई देते है.
सिवनी में ओवरलोड वाहन जो झाबुआ थर्मल पावर प्रोजेक्ट कोयला आधारित थर्मल पावर प्रोजेक्ट तहसील घंसौर में है इस प्लांट से निकलने वाली राख जो कि सीमेंट का स्वरूप मानी जाती है इसी राख को लाने के लिए नियम अनुसार कैप्सूल ट्रक में राख भर कर जाना चाहिए लेकिन यहां नियम का पालन कौन करता है क्योंकि ये है मध्यप्रदेश दुर्घटना से भी नहीं लिया सबक सूत्रों की माने तो अभी कुछ दिन पहले ही सिहोरा के पास चुरका गांव में हुई दुर्घटना के बाद भी जोकि बरेला प्लांट से एक ट्रक एक रखड़ भर कर आ रहा था बाइक सवार व्यक्ति को टक्कर मार दी जिस से उसकी मौके पर मौत हो गई लेकिन लोग सबक लेने को तैयार नहीं है. वही प्रशासनिक उदासीनता के चलते वाहन मालिकों द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक यात्रियों को बिठा कर परिवहन किया जा रहा है. ओवरलोडिंग वाहनों लखनादौन शहर के अंदर से होकर जा रहे हैं इन ट्रकों की राख शहर की रोडमें गिर रही है जिससे लोगों काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है,
आए दिन होने वाली दुर्घटनाएं अब आम सी नजर आती है पर लोगों की मजबूरी कहें या वाहन संचालकों की मनमर्जी जिसके चलते लोगों को अपनी जान जोखिम में डालकर मौत का सफर करना पड़ता है.लापरवाह प्रशासन
सिवनी में परिवहन की जमीनी हकीकत जानने पर मालूम चला कि यहां ऑटो हो, बस हो या हो ट्रैक्टर ट्रॉली इन सभी वाहनों पर ओवरलोडिंग सवारियों हमेशा दिखाई देती है, जहां यात्री मजबूरी में अपनी जान जोखिम में डालते दिखाई देते है. वहीं पर्याप्त परिवहन उपलब्ध ना होने के चलते स्कूली छात्र इन वाहनों में सफर करने को मजबूर होते है. वहीं अगर जानकारों की मानें तो परिवहन विभाग की मिलीभगत से संचालित खस्ताहाल वाहनों पर ना ही सुरक्षा के इंतजाम है न ही फिटनेस, फिर भी कंडम हालत की यह बसें, ऑटो सड़कों लगातार चलते है और प्रशासन बस देखता रहते है और किसी बड़े हादसे के इंतजार में बैठा रहता है, कि जब कोई दुर्घटना हो और इसके खिलाफ एक्शन लिया जाए.बड़ा सवाल सिवनी में संचालित ओवरलोडिंग यात्री वाहनों के संबंध में अब देखना यह है कि परिवहन अधिकारी क्या कार्यवाही करते हैं , जागरूकता अभियान और शिविर लगाए जाते हैं जिसमें वाहन चालक के नेत्र परीक्षण भी कराए जाते हैं, यातायात नियमों का पालन ना करने और ओवरलोडिंग के संबंध में अगर हमें शिकायत प्राप्त होती है तो हम निश्चित ही कार्रवाई करेंगे. अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या शिकायत के बाद बाद ही कार्रवाई होगी, और फिर लगातार चेंकिग के बाद भी इस तरीके से अवैध वाहन ओवरलोड होकर क्यों चल रहे है.