झाबुआ पावर लिमिटेड की मनमानी पर हाईकोर्ट का पड़ा डंडा, तीन दिन में मांगा सिवनी कलेक्टर से जवाब!

रिपोर्टर प्रांशु बघेल
सिवनी। झाबुआ पावर लिमिटेड की अवैध गतिविधियों और प्रशासनिक मिलीभगत के खिलाफ हाईकोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। सिवनी जिले के घंसौर ब्लॉक के रजगढ़ी गांव के किसान रामगोपाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की प्रिंसिपल बेंच के जस्टिस विवेक अग्रवाल ने सिवनी जिला कलेक्टर को नोटिस जारी कर तीन दिन के भीतर व्यक्तिगत शपथ पत्र देने का आदेश दिया है।
किसान के खेत में जबरन उड़ेली जा रही राख, प्रशासन बना मूकदर्शक!
रामगोपाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि झाबुआ पावर लिमिटेड के बरेला स्थित प्लांट से निकलने वाली फ्लाईएश (राख) सैकड़ों ट्रकों के जरिए जबरन उसकी कृषि भूमि में डाली जा रही है, जिससे उसकी जमीन बंजर हो गई और कई पेड़-पौधे नष्ट हो गए। जब किसान ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई तो तहसीलदार, कलेक्टर और एसपी ने कोई कार्यवाही नहीं की, बल्कि शिकायत करने पर तहसीलदार और पटवारी ने उसे धमकाया कि अगर वह शिकायत वापस नहीं लेता, तो उसे कोटवार की नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा।
हाईकोर्ट का सख्त रुख – प्रशासन से तलब किया जवाब
याचिकाकर्ता के विद्वान अधिवक्ता विशाल बघेल ने बताया कि हाईकोर्ट ने इस मामले में प्रशासन और झाबुआ पावर लिमिटेड के बीच मिलीभगत को गंभीरता से लिया है और 28 फरवरी से पहले कलेक्टर को व्यक्तिगत शपथ पत्र पेश करने का आदेश दिया है। इसके अलावा, मामले की अगली सुनवाई 1 मार्च को होगी।
क्या होगी कार्रवाई?
याचिका में तीन मुख्य मांगें की गई हैं:
1. झाबुआ पावर लिमिटेड और प्रशासनिक अधिकारियों पर एस्ट्रोसिटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए।
2. किसान की नष्ट हुई कृषि भूमि और पेड़-पौधों के नुकसान का मुआवजा दिया जाए।
3. अवैध कार्यों को संरक्षण देने वाले अधिकारियों की जांच कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
जनता के लिए क्या मतलब है यह फैसला?
इस केस ने न केवल प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर किया है, बल्कि यह भी साबित किया है कि अगर जनता न्याय के लिए मजबूती से खड़ी होती है, तो कोर्ट से न्याय जरूर मिलता है। झाबुआ पावर लिमिटेड जैसी बड़ी कंपनियों को किसानों की जमीन खराब करने की खुली छूट नहीं दी जा सकती। हाईकोर्ट का यह फैसला अन्य किसानों के लिए भी एक मिसाल बनेगा कि वे अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा सकते हैं।