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राजधानी रायपुरमें महाशिवरात्रि का महापर्व भक्ति और श्रद्धा से मनाया गया, धूमधाम से निकाली गई शिवजी की शोभायात्रा

रिपोर्ट:- राकेश कुमार चौबे

रायपुर l देवाधिदेव महादेव के प्रथम शिवलिंग रूप में दर्शन का महोत्सव श्री महाशिवरात्रि महापर्व महोत्सव छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सभी शिव मंदिरों में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया l महाशिवरात्रि पर्व को यूं तो लोग अनेक रुपए में मनाते हैं कोई शिवजी के जन्म के रूप में कोई शिव पार्वती की विवाह के रूप में लेकिन कहा जाता है कि एक बार लीला स्वरूप श्री विष्णु और श्री ब्रह्म में बड़े होने के विचार से आपस में विवाद और युद्ध होने लगा l दोनों भगवान के द्वारा युद्ध करने से समस्त सृष्टि नष्ट होने लगी और समस्त देवता महादेव की शरण में गए l देवताओं के द्वारा महादेव की स्तुति करने पर भगवान महादेव ने देवों की प्रार्थना स्वीकार करके उस स्थान में विशाल अग्नि स्तंभ के रूप में श्री ब्रह्मा और श्री नारायण के अस्त्र के बीच में प्रकट हो गए , इस विशाल अग्नि स्तंभ को देखकर के श्री ब्रह्मा और श्री नारायण आश्चर्य में पड़ गए और आपस में चर्चा करने लगे इस समय देवाधिदेव महादेव गंभीर वाणी में दोनों को संबोधित करते हुए बोले कि मैं इस संसार में सब का पालन और उत्पत्ति करने वाला और संहार करने वाला शिव हूं आप दोनों मेरी ही विभूति हैं और मेरे ही आज्ञा से यह समस्त संसार और सृष्टि चक्र चल रहा है इस पर दोनों के युद्ध होने का कारण पूछा और महादेव ने कहा कि जो इस निराकर अग्नि स्तंभ के प्रारंभ और अंत का पता लगा लगा वही सबसे बड़ा कहलाएगा l महादेव की वाणी सुनकर के श्री विष्णु नीचे की ओर और ब्रह्मा ऊपर की ओर इस विशाल अग्नि स्तंभ का पता लगाने अपने-अपने वाहन गरुड़ और हंस में चढ़कर चलने लगे बहुत समय तक श्री विष्णु को जब इस अग्नि स्तंभ के प्रारंभ का पता ना चला तब उन्होंने आकर के उसे स्थान में ब्रह्मा का प्रतीक्षा करना प्रारंभ किया जहां दोनों मिले थे ब्रह्मा बहुत वर्षों तक ऊपर की ओर गए लेकिन उन्हें मूल ना मिला उसी समय उन्हें एक केतकी का पुष्प आते हुए दिखाई दिया ब्रह्मा ने पूछा तुम ऊपर से आ रहे हो बताओ इस अग्नि स्तंभ का कुछ पता है केतकी ने कहा कि मैं न जाने कब से नीचे की ओर आ रहा हूं लेकिन मुझे आज तक पता नहीं चला कि यह अग्निस्तंभ कहां से प्रारंभ हुआ है ब्रह्मा ने कहा हमारे और श्री विष्णु के बीच श्रेष्ठ को लेकर के युद्ध हो रहा था और तब इस स्तंभ से आवाज आई कि जो हमारे आरंभ और अंत का का पता लगाएगा वह श्रेष्ठ और बड़ा कहलाएगा अगर तुम नीचे जाकर के अगर कह दो की मैंने इसके अंत का छोर देख लिया, तो तुम्हें देवताओं में पूजन के लिए श्रेष्ठ पुष्प की पदवी प्रदान की जाएगी केतकी ने भी सिर हिला दिया l दोनों वहीं पहुंचे जहां श्री विष्णु, ब्रह्मा के आने का की प्रतीक्षा कर रहे थे ब्रह्मा ने जाते ही अग्निस्तंभ को प्रणाम किया और कहा कि मैं इस अग्निस स्तंभ के ऊपर के छोर का दर्शन किया है अगर आप चाहे तो इस केतकी के पुष्प से पूछ सकते हैं, केतकी ने भी ब्रह्मा के समर्थन में सिर हिला दिया l उसी समय असत्य कहे जाने के कारण क्रोधित हुए महादेव तांडव करते हुए प्रकट हुए और असत्य बोलने वाले ब्रह्मा के पांचवें शीश को खंडित कर दिया और देवों में पूजित नहीं होने का श्राप दिया l केतकी को भी श्राप देते हुए भगवान ने कहा कि तुम मेरी पूजा में कभी उपयोग में लिए नहीं जाओगे, मेरी पूजा के लिए अयोग्य होंगे l श्री नारायण के द्वारा सत्य कहे जाने के कारण महादेव ने उन्हें सभी देवों में श्रेष्ठ होने के पद पर स्थापित किया और कहां आप सर्वत्र पूजित होंगे l इस समय श्री विष्णु ने उस अग्नि स्तंभ स्वरूप शिवलिंग की प्रथम पूजा फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन की थी तब से आज तक तीनों लोको में फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है इस दिन लोग रात्रि जागरण करते हैं और रात भर निशीथ काल में भगवान शिव का अभिषेक आदि किया जाता है महाशिवरात्रि के दिन प्रातः स्नान करके सभी लोग सपरिवार महादेव जी के दर्शन करके पंचामृत इत्र धतूरा बेलपत्र भस्मी आदि अनेक प्रकार की पूजन सामग्री महादेव को अर्पित करके उनसे मनवांछित फल की प्राप्ति करते हैं l इस प्रकार कुछ लोग शिव चतुर्दशी को शिव पार्वती विवाह के दिन के रूप में भी मानते हैं l जैसे कि पुराने में वेदों में वर्णित है कि महादेव आशुतोष हैं जो तिरस्कृत और पीड़ित को भी हृदय से लगते हैं इसीलिए महादेव के भक्त जैसे भी जिस भी रूप में उनकी पूजा करते हैं महादेव उसे स्वीकार करते हैं l इस दिन सभी मंदिरों में साज सजा करके दिन भर भक्तजन जल बेलपत्र पंचामृत आदि अर्पित करते हैं मंदिरों को रंग-बिरंगे लाइटों से सजाया जाता है वंदनवार बांधे जाते हैं जगह-जगह ठंडाई और भांग की प्रसादी बांटी जाती है भक्तों को भोजन प्रसादी भंडारा भी दिया जाता है महाशिवरात्रि पर शिव का कितना भी छोटा या विशाल शिवालय हो वहां सैकड़ो हजारों की संख्या में शिव भक्त पहुंच जाते हैं और अपने महादेव के साथ मां पार्वती और शिव परिवार की पूजा करके अपने जीवन को सफल बनाते हैं

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